Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार (03 अगस्त) को भारत के संविधान और डॉ. बीआर अंबेडकर के विजन को क्रेटिड देते हुए कहा कि वो खुद और सामान्य पृष्ठभूमि के लोग भी इसी संविधान और संविधान निर्माता के विजन की वजह से महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच पाए. उन्होंने सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने में सुप्रीम कोर्ट की सक्रिय भूमिका की भी बात की.


उन्होंने कहा, "यह केवल भारतीय संविधान और डॉ. अंबेडकर की दूरदृष्टि के कारण ही संभव हो पाया है कि हम सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं. कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की ओर से किए गए हर प्रयास को सही माना जाना चाहिए.” जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उज्जल भुइयां के पिता स्वर्गीय एसएन भुइयां की जन्म शताब्दी के मौके पर गुवाहाटी में ये बात कही.


महिलाओं के साथ उत्पीड़न पर भी की बात


उन्होंने भारत में महिलाओं के उत्पीड़न के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं को अक्सर समाज में सबसे निचले तबके के रूप में माना जाता है. उन्होंने कहा, "जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पारंपरिक भारतीय समाज में, महिलाएं सबसे अधिक दलित थीं. उन्हें अछूतों से भी अधिक अपमानित माना जाता था."


हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले 75 सालों में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण व्यवहार से निपटने के लिए लगातार काम किया है. उन्होंने कहा, "महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार होने पर सुप्रीम कोर्ट ने न केवल कड़ी कार्रवाई की है, बल्कि सक्रिय तरीके से काम भी किया है."


जस्टिस गवई ने बताया क्या आया बदलाव?


कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हम पाते हैं कि पिछले 75 सालों में सामाजिक और आर्थिक न्याय प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ किया गया है. लाखों भूमिहीन मजदूरों को कृषि भूमि विक्रय अधिनियम के तहत उपलब्ध भूमि से भूमि आवंटित की गई है. लाखों काश्तकार जो कृषि भूमि के काश्तकार थे, वे मालिक बन गए हैं. हम पाते हैं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग उच्च पदों पर पहुंचे हैं. वे मुख्य सचिव के पद तक पहुंचे हैं, पुलिस महानिदेशक के पद तक पहुंचे हैं.


जस्टिस गवई ने कहा, “महाराष्ट्र में, हमारे पास एक अनुसूचित जाति की मुख्य सचिव है, जो एक महिला है. भारत की प्रधानमंत्री के रूप में एक महिला थी. हमारे पास पहली महिला राष्ट्रपति थीं, संयोग से, मेरे अपने गृहनगर से और अब हमारे पास महिला राष्ट्रपति हैं, जो पहली आदिवासी राष्ट्रपति भी हैं. हमारे पास लोकसभा के अध्यक्ष थे जो अनुसूचित जाति से थे, हमारे पास लोकसभा की अध्यक्ष थीं जो एक महिला थीं. हमारे पास एक अध्यक्ष थे जो अनुसूचित जनजाति समुदाय से थे.”


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