Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने इस साल दिवाली के त्योहार से पहले एक बड़ा फैसला सुनाया है. जहां कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 को पहले के समय से लागू करने का आदेश दिया है. इस नए आदेश के तहत पहली बार क्राइम करने वाले कैदियों की रिहाई के लिए नए नियम लागू किए गए हैं. हालांकि, शर्त है कि उन कैदियों ने अपने अपराध के लिए तय की गई अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा जेल में बिताया हो.


दरअसल, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता के साथ-साथ बीएनएसएस इस साल 1 जुलाई 2024 को लागू हुआ. प्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि लाभकारी प्रावधान सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की तारीख कुछ भी हो और वे जेल में क्यों न गए हों. जस्टिस कोहली ने कहा कि तय मानदंड को पूरा करने वाले विचाराधीन कैदियों को यह दिवाली अपने परिवार के साथ बिताने दें.


जानिए SC ने जेल अधिकारियों को क्या दिए निर्देश?


एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि वह जेल अधीक्षकों को ऐसे विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए कदम उठाने के लिए कहे, जो हालांकि पहली बार अपराध नहीं कर रहे हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों को आदेश दिया है कि वो उन कैदियों को जमानत देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं, जिससे जो लोग इस नियम के तहत योग्य हैं, उन्हें जमानत मिल सके. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में राज्य सरकार के संबंधित विभाग को रिपोर्ट करने को कहा है.


SC ने मामले की सुनवाई अक्टूबर में तय की


हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राज्य सरकारों और संबंधित केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे इन दो कैटागिरी के विचाराधीन कैदियों की रिहाई का डेटा जुटाएं और 2 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट ने मामले की सुनवाई अक्टूबर में तय की, तब तक जस्टिस हिमा कोहली सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हो जाएंगी.


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