Supreme Court On Donation: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड पर पर रोक लगा दी. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने एक स्टेटमेंट में इस बात का जिक्र किया कि किस राजनीतिक पार्टी को कितना चुनावी चंदा मिला था. उन्होंने वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2022-23 तक के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों को मिले चंदे का जिक्र करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने पर अपनी सहमति दी.
जज ने बताया किसे मिला कितना चंदा?
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब मामले की सुनवाई चल रही थी उसी समय जस्टिस संजीव खन्ना ने विभिन्न दलों को मिले चंदे का ब्यौरा शेयर किया. उन्होंने इस आंकड़े का जिक्र करते हुए बताया कि जो पार्टी केंद्र या राज्य में सत्ता में रही है, उसे सबसे अधिक चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला है.
'चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन'
कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को निर्देश दिए हैं कि 2019 से लेकर अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी तीन हफ्ते के अंदर चुनाव आयोग को सौंपें. चुनाव आयोग को सारी जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पब्लिश करनी होगी.
सीजेआई ने कहा, "हम सर्वसम्मती से इस फैसले पर पहुंचे हैं. दो राय हैं, एक मेरी और दूसरी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की. दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, लेकिन तर्क में थोड़ा अंतर है.”
इन जजों की पीठ में हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया है. इस पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे.
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