नई दिल्लीः जस्टिस रंजन गोगोई रविवार को भारत के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर्ड हो गए. सोमवार को जस्टिस शरद अरविंद बोबडे सीजेआई का पद संभालेंगे. वह देश के 47वें चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस बोबड़े कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई है.
दशकों से चले आ रहे राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद के अंत का क्रेडिट चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को जाता है. जस्टिस और चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल कुछ विवादों और व्यक्तिगत आरोपों से अछूता नहीं रहा.
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे सोमवार को सीजेआई का पद संभालेंगे. वह देश के 47वें चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस बोबड़े कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई है. हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के फैसले में भी वह शामिल रहे हैं.
'चीफ जस्टिस के काम करने पर उठाए थे सवाल'
उनकी अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने नौ नवंबर को अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया. यह मामला 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के दशकों पहले से चला आ रहा था.
सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल को इसलिए भी याद रखा जाएगा कि वह सुप्रीम कोर्ट के उन चार सबसे वरिष्ठ जजों में शामिल थे जिन्होंने पिछले साल जनवरी में तत्कालीन चीफ जस्टिस के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए थे.
चीफ जस्टिस के तौर पर गोगोई का कार्यकाल विवादों से परे नहीं रहा क्योंकि इसी दौरान उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा, जिससे वह बाद में मुक्त हुए. उन्हें अयोध्या के फैसले के लिये याद किया जाएगा जिसके तहत राम मंदिर निर्माण के लिये हिंदुओं को 2.77 एकड़ विवादित जमीन सौंपी गई और मुसलमानों को शहर में मस्जिद बनाने के लिये “महत्वपूर्ण स्थल” पर पांच एकड़ जमीन देने को कहा गया.
सबरीमला मंदिर पर सीजेआई ने क्या किया?
चीफ जस्टिस ने उस पीठ की भी अध्यक्षता की थी जिसने 3:2 के बहुमत से उस याचिका को सात जजों की बेंच के समक्ष भेज दिया जिसमें केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की लड़कियों और महिलाओं को प्रवेश के 2018 के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था.
बहुमत के फैसले में मुस्लिम और पारसी महिलाओं के साथ कथित धार्मिक भेदभाव के मुद्दों को भी पुनर्विचार याचिका के दायरे में शामिल कर लिया गया था. जस्टिस गोगोई का नाम मोदी सरकार को दो बार क्लीन चिट देने वाली पीठ की अध्यक्षता करने के लिये भी याद रखा जाएगा. पहले रिट याचिका पर और फिर गुरुवार को उस याचिका में जिसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अदालत के 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था.
CJI का ऑफिस RTI के अंदर
पीठ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी राफेल मामले में कुछ टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट का हवाला देने के लिये चेतावनी दी थी और भविष्य में उनसे ज्यादा सावधानी बरतने को कहा.
इसके अलावा जस्टिस गोगोई उस पीठ की भी अध्यक्षता कर रहे थे जिसने यह ऐतिहासिक फैसला दिया कि चीफ जस्टिस का कार्यालय सूचना के अधिकार कानून के तहत लोक प्राधिकार है, लेकिन “लोकहित” में सूचनाओं का खुलासा करते वक्त “न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ध्यान में रखा जाए”.
जस्टिस गोगोई ने तीन अक्टूबर 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 13 महीने से थोड़ा ज्यादा का था.
अयोध्या फैसले के खिलाफ SC में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा AIMPLB, कहा- हमें दूसरी जमीन मंजूर नहीं