नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट रीपक कंसल की कोर्ट रजिस्ट्री पर पक्षपात का आरोप लगाने याचिका खारिज करते हुए उनपर 100 रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माना लगाए जाने के बाद कई वकील कंसल का समर्थन करते हुए और फैसले के सिंबोलिक विरोध के रूप 50-50 सिक्के इकट्ठा कर रहे हैं जिससे कि जुर्माना अदा किया जा सके.


कंसल ने तर्क दिया था कि रजिस्ट्री द्वारा "पिक एंड चूज" की नीति अपनाते हुए मामलों की लिस्टिंग की जा रही है. इससे कुछ मामले कई दिनों तक अनलिस्ट रह जाते हैं जबकि कुछ मामले दायर किए जाने के कुछ घंटों में ही लिस्टेड हो जाते हैं.


जुर्माने के अगले दिन शुरू किया अभियान


कोर्ट के जुर्माने का फैसला सुनाने के एक दिन बाद 50 पैसे के सिक्कों को इकट्ठा करने के लिए यह ड्राइव स्टार्ट किया गया. जब 100 रुपये की जुर्माना राशि यानि 200 सिक्के इकट्ठा हो जाएंगे तब इन्हें रजिस्ट्री में जमा करा दिया जाएगा.


 व्हाट्सएप ग्रुप बनाया


इस मामले में अपना विरोध दर्ज कराने के इच्छुक सभी वकीलों को एक साथ लाने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया. अब तक 200 वकीलों ने इससे जुड़कर कंसल को प्रति अपना समर्थन जताया है.


बार एंड बेंच से बात करते हुए, कंसल ने कहा कि  "मैं खुश हूं. यह मेरा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, अन्य वकीलों को भी भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. यह एक अच्छा इनिशएटिव है. एससीबीए के सदस्य रजिस्ट्री के इस गैरकानूनी एक्ट के खिलाफ मेरा समर्थन करते रहे हैं और कई एक्जीक्यूटिव मेंबर भी इसका ( व्हाट्सएप ग्रुप) हिस्सा हैं "


एक वकील ने अपना नाम नहीं बताते हुए कहा कि "हमने एक प्रतिक्रिया के रूप में आंदोलन शुरू किया. हम सभी कंसल साथ खड़े होते हैं और यदि उन्हें जुर्माना लगाया गया है तो हमारी नाराजगी दिखाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे 50 पैसे के सिक्कों में जमा करें. रजिस्ट्री भी कुछ काम करें (सिक्कों की गिनती) ”


6 जुलाई को लगा था जुर्माना


6 जुलाई को जस्टिस अरुण मिश्रा और एस अब्दुल नजीर की बेंच ने रजिस्ट्री में पक्षपात का आरोप लगाने वाली कंसल की याचिका पर अपना फैसला सुनाया. न्यायालय ने कहा कि दायर "बड़ी संख्या में याचिकाएं" दायर की जाती हैं और ऐसे मामलों से डील करने वाले असिस्टेंट्स पर अनावश्यक दबाव डाला जाता है.


कोर्ट ने कहा कि मानव से गलती हो जाती है और जब विशेष रूप एक महामारी के दौरान अधिकतम क्षमता तक काम किया जा रहा हो तो इस तरह की त्रुटियां से हो सकती हैं.


कोर्ट ने फैसले में कहा कि बड़ी संख्या में ऐसी याचिकाएं भी दायर की जाती हैं जो दोषपूर्ण हैं, फिर भी, उन्हें लिस्ट करने के लिए आग्रह किया जाता है और उल्लेख किया जाता है कि उन्हें तत्काल लिस्ट किया जाना चाहिए. इससे जुड़े असिस्टेंट्स पर अनावश्यक दबाव डाला जाता है. जब गलितयों के साथ याचिका दायर की जाती है तो यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि उन्हें तुरंत लिस्ट किया जाना चाहिए. गलती करना मानवीय है और डीलिंग असिस्टेंट की ओर से भी एक गलती हो सकती है. "


वन नेशन, वन राशन कार्ड से जुड़ी याचिका का मामला


कंसल ने  "वन नेशन, वन राशन कार्ड" जुड़ी याचिका के लिसटेड नहीं होने पर यह चाचिका दायर की थी. कंसल ने अपनी याचिका की लिस्टिंग की तुलना अर्नब गोस्वामी द्वारा दायर याचिका के साथ की थी, जिसमें उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज कई एफआईआर को चैलेंज किया था.  गोस्वामी की याचिका एक दिन में लिस्टेड हो गई थी और न्यायालय ने सुनवाई भी की थी.


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