सुप्रीम कोर्ट से पंजाब सरकार को बड़ी राहत, राज्यपाल से कहा- 'बिल लटकाए नहीं जा सकते, लें फैसला'
Supreme Court On Punjab Governor: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच जारी गतिरोध को शुक्रवार (10 नवंबर) को गंभीर चिंता'का विषय बताया.
Supreme Court On Punjab Governor: सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार (10 नवंबर) को पंजाब सरकार को बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने पंजाब में 19 और 20 जून को बुलाई गई विधानसभा बैठक को वैध करार दिया. कोर्ट ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से कहा कि वह इस दौरान पास किए गए विधेयकों पर फैसला लें.
राज्यपाल सचिवालय ने दलील दी थी कि मार्च में बुलाई गए बजट सत्र को खत्म करने की बजाय स्थगित किया गया. इसके बाद जून में दोबारा बैठक बुला ली गई. यह गलत है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा स्पीकर के पास ऐसा करने का अधिकार है. हालांकि, कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि विधानसभा सत्र को अनिश्चित काल तक स्थगित रखना भी सही नहीं है.
कोर्ठ ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि भारत मे लोकतांत्रिक व्यवस्था है. राज्यपाल का दर्जा संवैधानिक प्रमुख का है, लेकिन उन्हें कुछ विषयों को छोड़कर ज्यादातर में कैबिनेट की सलाह से काम करना होता है.
बेंच ने आगे कहा चुने हुए प्रतिनिधि कोई कानून पास करें, तो उसे लटकाया नहीं जा सकता. राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह बिल को वापस लौटा सकते हैं, लेकिन अगर विधानसभा दोबारा वही बिल पास करती है, तो राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी होगी. पीठ ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति नहीं देने के लिए पंजाब के राज्यपाल पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा ‘‘आप आग से खेल रहे हैं।’’
राज्यपाल ने क्या कहा?
राज्यपाल की तरफ से कहा गया था कि वह राज्य सरकार के कामकाज को बाधित नहीं करना चाहते. उन्होंने विधानसभा से पारित 100 से ज्यादा विधायकों को अपनी मंजूरी दी है, लेकिन इस मामले में उन्हें इस बात पर संदेह है कि विधानसभा का सत्र समाप्त कर नया सत्र बुलाने की जगह फिर से इस सत्र की बैठक बुलाने कानूनंदन गलत है.
इस कारण उन्होंने विधायकों पर फैसला लेने से पहले कानूनी सलाह लेना सही समझा पाल सचिवालय की तरफ से कहा गया कि अगर सुप्रीम कोर्ट जून ने बुलाई गई विधानसभा की बैठक को वैधानिक करार देता है तो राज्यपाल उसे बैठक में पारित विधायकों पर फैसला ले लेंगे.
अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि विधानसभा के सत्र को स्थगित कर उसकी बैठक दोबारा बुलाना स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में आता है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि संवैधानिक व्यवस्था यही है कि किसी सत्र को पूरा होने के बाद समाप्त घोषित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अगर उसे स्थगित कर स्पीकर दोबारा उसकी बैठक बुलाते हैं, तो यह गलत होगा.
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