Delhi Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन यानी एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के स्थायी समाधान के लिए जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगने के निर्देश दिए.
चीफ जस्टिस एन वी रमणा, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने आयोग की ओर से दाखिल एक रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कोर्ट को बताया गया था कुछ उद्योगों पर लगी पाबंदियां हटाने का निर्णय लिया गया है.
बेंच ने कहा, 'समिति की रिपोर्ट में उठाए गए कदमों की जानकारी है. निर्माण से जुड़ी गतिविधियों पर कहा गया है कि इस संबंध में निर्णय शुक्रवार को लिया जाएगा. फरवरी के पहले सप्ताह में इस मामले पर सुनवाई होगी. इस बीच हम आयोग को निर्देश देते हैं कि वह प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए स्थायी समाधान के वास्ते जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे.'
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, गुरुवार को भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रही. सुबह आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 350 दर्ज किया गया, जबकि बुधवार को यह 363 था. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.
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बता दें कि दिल्ली में 2013 के बाद से ही नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर तय सीमा से अधिक बना हुआ है.वायु प्रदूषण नीति निगरानी मंच एनसीएपी ट्रैकर के एक नए विश्लेषण में यह बात सामने आई है. सीपीसीबी ने राष्ट्रीय राजधानी के लिए नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय किया है. सीपीसीबी के मुताबिक हवा में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर इससे अधिक होना वायु की गुणवत्ता के लिए खराब माना गया है.