Parsi Women Rights: पारसी महिलाओं के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, गैर-पारसी से शादी करने पर भेदभाव का उठाया गया है मसला
Parsi Women Rights: याचिका में मांग की गई है कोर्ट सरकार को इस भेदभाव पर नियंत्रण का निर्देश दे. याचिकाकर्ता ने बताया है कि उनकी सास यानी बच्चे की दादी भी पारसी समुदाय से हैं.
Parsi Women Rights: पारसी महिलाओं के अधिकार का सवाल उठाने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है. याचिका में यह कहा गया है कि गैर पारसी पुरुष से शादी करने वाली पारसी महिला और उसके बच्चों से पारसी समुदाय भेदभाव करता है. याचिका करने वाली महिला ने 1908 में 'पेटिट बनाम जीजीभौय' मामले में आए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त करार देने की मांग की है. इस फैसले में पारसियों की परिभाषा तय की गई थी. महिला का कहना है कि इस फैसले को आधार बनाकर अपनी इच्छा से शादी करने वाली पारसी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
मुंबई की रहने वाली 38 साल की सनाया दलाल ने अपनी और अपने 7 साल के बेटे की तरफ से यह याचिका दाखिल की है. महिला ने बताया है कि उन्होंने ऋषि किशनानी नाम के सिंधी पुरुष से 2011 में शादी की. इसके बाद से धीरे-धीरे उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. ऐसे में वह उनकी संपत्ति की वारिस है. लेकिन 2012 में एक पारसी कॉलोनी में उसके माता-पिता को यह कहकर फ्लैट बेचने से मना कर दिया गया कि उनकी बेटी ने गैर-पारसी पुरुष से शादी की है.
याचिका में बताया गया है कि सनाया दादर पारसी कॉलोनी जिमखाना की सदस्य हैं. 5 साल की उम्र तक उनके बेटे को वहां उनके साथ जाने दिया गया. लेकिन जब उसने गेमिंग मेंबर बनने के लिए आवेदन दिया, तो उस आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जबकि उसी आयु के बाकी पारसी बच्चों के आवेदन स्वीकार कर लिए गए. पूछताछ में पता चला कि बच्चे के पिता पारसी नहीं हैं. इसलिए, उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा रहा है.
याचिका में कम उम्र के बच्चे को इस तरह की मानसिक यंत्रणा किए जाने का सवाल उठाया गया है. साथ ही, यह भी कहा गया है की एक महिला को अपने मन के मुताबिक विवाह करने की स्वतंत्रता भारत का संविधान देता है. ऐसे में, पारसी नस्ल की शुद्धता बनाए रखने के नाम पर उसके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है. याचिका में केंद्र सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, मुंबई के पारसी सेंट्रल एसोसिएशन को-ऑपरेटिव हाउसिंग, दादर पारसी कॉलोनी जिमखाना समेत 9 को पक्षकार बनाया गया है.
याचिका में मांग की गई है कोर्ट सरकार को इस भेदभाव पर नियंत्रण का निर्देश दे. याचिकाकर्ता ने बताया है कि उनकी सास यानी बच्चे की दादी भी पारसी समुदाय से हैं. बच्चे का पालन-पोषण पारसी तरीके से ही किया जा रहा है. लेकिन खुद को उच्च नस्ल का मानने के चलते पारसी समुदाय उनके बच्चे से भेदभाव कर रहा है. मामले पर थोड़ी देर सुनवाई के बाद आज जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और ए एस बोपन्ना की बेंच ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया.