गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, SC ने केंद्र-राज्यपाल दोनों को भेजा नोटिस, जानें क्या है मामला
Supreme Court Hearing: केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर आरोप लगाया है कि वह विधानसभा से पारित बिलों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं.
Kerala Govt: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 नवंबर) को केरल सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार और गवर्नर सचिवालय को नोटिस जारी किया है. दरअसल, केरल सरकार ने गवर्नर पर विधानसभा से पारित बिल लंबित रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सरकार का कहना है कि गवर्नर के आठ बिल कई महीनों से लंबित हैं. इनमें से कुछ बिल गवर्नर के पास सात महीने से लेकर दो साल तक की अवधि तक पेंडिंग पड़े हुए हैं.
देश की शीर्ष अदालत ने अटॉनी जनरल या सॉलिसीटर जनरल से भी इस मसले पर अपनी राय रखने को कहा. इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार 24 नवंबर को होनी है. देश के कई राज्यों में राज्य सरकारों और गवर्नर के बीच टकराव के मामले देखने को मिले हैं. ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में भी देखने को मिला है, जहां सरकार का गवर्नर आरएन रवि पर आरोप है कि उन्होंने बिलों को तीन साल से पेंडिंग रखा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर भी सुनवाई हुई है.
केरल सरकार का क्या आरोप है?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान विधानसभा के जरिए पारित किए गए कई सारे बिलों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं. केरल सरकार का ये भी कहना है कि गवर्नर बिलों को मंजूरी देने से रोककर देरी कर रहे हैं. वह ऐसा करके लोगों के अधिकारों को निष्प्रभावी बनाने का काम कर रहे हैं. सरकार ने बताया कि इनमें से कुछ विधेयक सात से 21 महीनों से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल अदालत में पेश हुए. उन्होंने दलील देते हुए कहा कि गवर्नर की तरफ से आठ विधेयकों को मंजूरी देने में देरी की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केके वेणुगोपाल की दलीलों पर गौर किया.
अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को नोटिस जारी किया. इसने कहा कि वह या फिर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुनवाई में पीठ की मदद करें. सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि गवर्नरों को इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं है कि वे संविधान के अनुच्छेद 168 के तहत विधायिका का हिस्सा हैं. अब इस मामले पर 24 नवंबर को सुनवाई होने वाली है.
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