नई दिल्ली: आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इस बारे में सरकार की अधिसूचना को एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोर्ट में चुनौती दी है.


केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने 19 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की थी. इसमें 58 तरह की शल्यक्रिया यानी सर्जरी का उल्लेख था, जो पोस्ट ग्रैजुएट आयुर्वेदिक चिकित्सा कर सकते हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि यह आधुनिक पद्धधति से इलाज करने वाले एलोपैथी डॉक्टरों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण है.


केंद्रीय आयुष मंत्रालय पहले ही यह स्पष्टीकरण दे चुका है कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा में शल्यक्रिया यानी सर्जरी की जाती थी. ऐसे में उसी चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई कर रहे लोगों को शल्य क्रिया सिखाना गलत नहीं है. मंत्रालय ने यह भी कहा था कि पोस्ट ग्रैजुएट आयुर्वेदिक चिकित्सकों को शल्य क्रिया की शिक्षा देने का प्रावधान 2016 में ही कर दिया गया था.


आयुर्वेदिक चिकित्सक भी यह कहते रहे हैं कि एलोपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों की तरह ही प्रतियोगिता पास कर आयुर्वेदिक कॉलेज में एडमिशन मिलता है. छात्र साढ़े 4 साल तक आयुर्वेद में ग्रैजुएशन का कोर्स करते हैं. इसके बाद उन्हें 1 साल तक आयुर्वेदिक और एलोपैथिक हॉस्पिटल में इंटर्नशिप करनी होती है. इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद 3 साल तक पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई होती है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में 8 साल से ज्यादा की पढ़ाई कर चुके लोगों को शल्य क्रिया की शिक्षा देना गलत नहीं है. इससे भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलेगा.


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से आज वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच के सामने पेश हुए. उन्होंने कहा कि अगर आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दी गई, तो इससे देशभर में समस्या खड़ी हो जाएगी. यह लोगों के स्वास्थ्य का सवाल है. इस पर समझौता नहीं किया जा सकता. आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से वकील वी के बीजू ने इस याचिका का विरोध किया. बीजू ने कहा कि याचिका भारतीय चिकित्सा पद्धति का अपमान करने की नीयत से दाखिल की गई है.


मामले में दखल देते हुए केंद्र सरकार के वकील सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता बात को बढ़ा चढ़ाकर कर बता रहे हैं. सर्जरी की व्यवस्था पहले से ही मौजूद है. नई अधिसूचना में बस एक लिस्ट जारी की गई है. इससे लोगों को पता चल सकेगा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर किस तरह की सर्जरी कर सकता है. सरकार इस पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करेगी.


कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी. आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन को भी जवाब दाखिल करने के लिए कहा. अब इस मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.


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