Supreme Court Notice To High Court: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अदालती कार्रवाई में हिस्सा लेने को मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग हाई कोर्ट के उन प्रशासनिक आदेशों को चुनौती दी है, जिनके तहत कोर्ट को सामान्य सुनवाई के लिए खोला जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई को पूरी तरह बंद नहीं करना चाहिए. कोर्ट की कार्रवाई मिश्रित तरीके से चलनी चाहिए.


एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एंड एडवोकेट्स ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के 16 अगस्त के प्रशासनिक आदेश को चुनौती दी है. इसके तहत 24 अगस्त से हाई कोर्ट की कार्रवाई को पूरी तरह सामान्य कर दिया गया है. संगठन का कहना है कि कोरोना अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली सुनवाई के कई फायदे हैं. इसलिए, इसे जारी रहना चाहिए.


सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा से कहा, "हम लोग भी वकीलों की कमी महसूस कर रहे हैं. जब वकील सामने खड़े होते हैं, तभी बेहतर सुनवाई हो सकती है. युवा वकील भी वरिष्ठ वकीलों को सुनकर सीख पाते हैं." याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि सामान्य सुनवाई शुरू न होने से लाखों वकील परेशानी में हैं. कुछ और वकीलों ने भी दलील दी कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सिर्फ कुछ बड़े वकीलों को फायदा हुआ है. वह अपने घर से सभी कोर्ट में पेश हो रहे हैं. पिछले 2 सालों में सामान्य वकीलों के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है.


थोड़ी देर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में उत्तराखंड, बॉम्बे, एमपी और केरल हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को भी मसले पर नोटिस जारी किया है.


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