SC On Waseem Rizvi Bail Plea: भड़काऊ भाषण मामले में गिरफ्तार जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. मामले पर मंगलवार, 17 मई को सुनवाई होगी. धर्म परिवर्तन कर हिंदू बने त्यागी पर हरिद्वार में हुए धर्म संसद में इस्लाम और पैगम्बर के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण देने का आरोप है. 13 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी हुई थी.


इससे पहले 8 मार्च को उत्तराखंड हाई कोर्ट त्यागी को जमानत पर रिहा करने से मना कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच के सामने उनके लिए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए. लूथरा ने दलील दी कि मामले में 6 मार्च को निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. ऐसे में अब आरोपी को हिरासत में रखने की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल को स्वास्थ्य समस्या है. वह सीने में दर्द की समस्या से परेशान हैं.


इस पर बेंच के अध्यक्ष जस्टिस रस्तोगी ने नसीहत देते हुए कहा- "यह धर्म संसद क्या है? अच्छा हो कि सभी समुदाय साथ रहें. इस तरह से माहौल बिगाड़ना गलत है." जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी के वकील ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से जजों के विचार से सहमत हैं. यहां उनकी दलील कानूनी पहलू पर है. अब आरोपी को हिरासत से मुक्त कर दिया जाना चाहिए.


17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में आयोजित हिंदू धर्म संसद मामले में पुलिस को शिकायत देने वाले नदीम अली के वकील ने जमानत की मांग का विरोध किया. उन्होंने कहा, "इन लोगों को कानून की चिंता नहीं है. इस आरोपी ने कई बार भड़काऊ बातें कही हैं. उसने 18 दिसंबर को विवादित भाषण दिया. उसके बाद 28 दिसंबर को फिर इसी तरह की बातें कहते हुए वीडियो जारी किया."


इस पर बेंच ने पूछा कि जिन धाराओं में .मुकदमा दर्ज हुआ है, उनमें अधिकतम कितनी सज़ा है. दोनों पक्षों के वकीलों ने बताया कि सज़ा 3 साल तक की हो सकती है. इस पर जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "3 साल की सज़ा वाला मामला है. चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. आरोपी 4 महीने से अधिक से जेल में है. अब इस मामले में और क्या जांच बाकी है?"


जजों ने पूछा कि क्या उत्तराखंड सरकार की तरफ से कोई वकील कोर्ट में मौजूद है. हम मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं. राज्य सरकार की तरफ से एक वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया. जस्टिस रस्तोगी ने एक बार फिर दोहराया कि मामले में आरोपी को हिरासत में रख कर जांच की अब ज़रूरत नज़र नहीं आ रही. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 17 मई तय कर दी.


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