Supreme Court on Deputy CM Post: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 फरवरी, 2024) को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें अलग-अलग राज्यों में उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका दी गई थी. दरअसल, इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि डिप्टी-सीएम का पद संविधान में कहीं भी नहीं लिखा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की इस दलील पर चीफ जस्टिस बोले- उप-मुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है. पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है.
संविधान के आर्टिकल 163 (1) के मुताबिक, "मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों का परिषद भी होना चाहिए जो कि राज्यपाल को उनके कामकाज में मदद करे और सलाह दे." डिप्टी सीएम का जिक्र न तो आर्टिकल 163 और न ही आर्टिकल 164 ("अदर प्रोविजंस एज टू मिनिस्टर") में मिलता है. आर्टिकल 164 का सब क्लॉज (1) कहता है, "मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और बाकी मंत्री भी सीएम की सलाह पर वही नियुक्त करेंगे."
Cabinet Ministers जैसी सैलरी-सुविधा पाते हैं डिप्टी-CMs
सामान्य तौर पर लोग किसी भी प्रदेश की सरकार में डिप्टी-सीएम को मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर का मंत्री माना जाता है. वैसे, राज्यों में डिप्टी सीएम का पद कैबिनेट मंत्री की रैंक के बराबर का माना जाता है और डिप्टी सीएम को भी कैबिनेट मंत्री जितनी तनख्वाह और सुविधाएं मिलती हैं.
कौन था देश में सबसे पहला उप-मुख्यमंत्री?
देश के सबसे पहले उप-मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह थे, जो कि औरंगाबाद से नाता रखने वाले राजपूत नेता थे. वह बिहार में पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह (सिन्हा) के बाद कांग्रेस में सबसे अहम नेता माने जाते थे. बाद में 1987 के बाद और राज्यों में भी डिप्टी-सीएम देखने को मिले.
फिलहाल 14 राज्यों में डिप्टी CMs, Andhra Pradesh में हैं सर्वाधिक
मौजूदा समय में कम से कम 14 सूबों में उप-मुख्यमंत्री हैं. सबसे अधिक डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं. वहां सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पांच डिप्टी हैं.