Supreme Court on Adultery: व्यभिचार पर केंद्र की स्पष्टीकरण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि व्यभिचार परिवार में गहरे दर्द का कारण है. जस्टिस के.एम. जोसेफ ने संविधान पीठ की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इससे परिवार टूट रहे हैं. यही कारण है कि इससे जुड़े मामलों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. परिवार की अखंडता मुख्य रूप से उस विश्वास पर आधारित है, जो हर पति या पत्नी दूसरे से अपेक्षा करते हैं. 


दरअसल, पांच-न्यायाधीशों की बेंच सरकार की तरफ से दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्पष्टीकरण की मांग की गई है थी कि क्या भारतीय दंड संहिता (IPC) में व्यभिचार को कम करने वाले सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले से सशस्त्र बल कानूनों के तहत उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई प्रभावित होगी, जो इसमें शामिल हैं. 


केंद्र ने मांगा था स्पष्टीकरण


बता दें कि, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (Armed Forces Tribunal) की 2018 में जोसेफ शाइन के फैसले के बाद अधिकारियों के खिलाफ कदाचार के मामलों को खारिज करने के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने इस मामले में 13 जनवरी 2021 को नोटिस जारी किया था. आज की सुनवाई के दौरान, जस्टिस जोसेफ ने उस दर्दनाक घटना को भी याद किया. 


सशस्त्र बल कानून पूरी तरह से जेंडर न्यूट्रल


वहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने कहाकि सशस्त्र बल कानून पूरी तरह से जेंडर न्यूट्रल है. पितृसत्तात्मक धारणाओं (Patriarchal Concepts) पर आधारित धारा 497 के तहत व्यभिचार के आईपीसी अपराध के विपरीत, सशस्त्र बल महिला अधिकारियों के खिलाफ भी कदाचार के लिए कार्रवाई करते हैं. पीठ ने सरकार से पूछा कि क्या वह स्पष्टीकरण आवेदन वापस लेना चाहती है और एएफटी द्वारा खारिज किए गए एक विशेष मामले को काफी हद तक चुनौती देना चाहती है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह दिसंबर को की थी. 


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