सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गुजारा भत्ता का मकसद पति को दंडित करना नहीं, इसे तय करते समय अदालतें इन 8 बातों का रखें ध्यान
Supreme Court: इस समय देश में अतुल सुभाष सुसाइड मामला तूल पकड़ा हुआ है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता तय करने के लिए पति के इनकम को ध्यान में रखना जरूरी है.
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यह दोहराया है कि वैवाहिक विवाद में पत्नी को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता पति के लिए सजा जैसा नहीं होना चाहिए. अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पत्नी उचित तरीके से जीवन जी सके, लेकिन पति की आर्थिक स्थिति समेत तमाम दूसरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.
कोर्ट ने 2020 के दिशानिर्देश को दोहराया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने एक फैसले में देश की सभी अदालतों को सलाह दी है कि वह 2020 में आए 'रजनेश बनाम नेहा' फैसले के मुताबिक काम करें. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदु मल्होत्रा और सुभाष रेड्डी की बेंच ने गुजारा भत्ता के मामले में 8 दिशानिर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में उन दिशानिर्देशों को फिर से दर्ज किया है.
कोर्ट ने कहा है कि तलाक के समय गुजारा राशि तय करते समय अदालतों को इन 8 बातों पर विचार करना चाहिए :-
1. पति और पत्नी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति
2. पत्नी और बच्चों के भविष्य से जुड़ी बुनियादी ज़रूरतें
3. दोनों पक्षों की शैक्षणिक योग्यता और रोज़गार
4. आय के साधन और संपत्ति
5. ससुराल में रहते समय का पत्नी का जीवन स्तर
6. क्या पत्नी ने परिवार का ध्यान रखने के लिए नौकरी छोड़ दी थी
7. अगर पत्नी की कोई आमदनी न हो तो कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उसका उचित खर्च
8. मेंटनेंस राशि का पति की आर्थिक स्थिति, आमदनी और दूसरी ज़िम्मेदारियों पर पड़ने वाला असर
कोर्ट ने इसे स्थायी फॉर्मूला नहीं मानने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यह 8 बातें गुजारा राशि तय करते समय देखी जानी चाहिए, लेकिन इसे हर मामले के लिए स्थायी फॉर्मूला न माना जाए. कोर्ट मामले के तथ्यों के हिसाब से आदेश दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 10 दिसंबर को 'मनीष कुमार जैन बनाम अंजू जैन' केस में आया है. स मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए 5 करोड़ रुपए की स्थायी एलिमनी राशि तय की.
फैसला लिखने वाले जज जस्टिस विक्रम नाथ ने 15 जुलाई 2024 को दिए अपने ही एक फैसले का भी जिक्र किया है. 'किरण ज्योत मैनी बनाम अनीश पटेल' केस के फैसले में भी कोर्ट ने कहा था कि गुजारा भत्ते का प्रावधान पत्नी और बच्चों की उचित जरूरतों को पूरा करने के लिए है, पति को सजा देने के लिए नहीं.
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