सुप्रीम कोर्ट में शिवराज सरकार को बड़ा झटका, धर्म परिवर्तन कानून के खिलाफ हाईकोर्ट का फैसला बरकरार
Supreme Court On Conversion: याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण के सभी मामलों को अवैध नहीं माना जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 जनवरी) को मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर दिए गई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस भी जारी किया है. हाईकोर्ट ने बालिग लोगों के अपनी मर्जी से विवाह करने के फैसले के खिलाफ मुकदमा चलाने को असंवैधानिक माना था.
धर्मांतरण के सभी मामले अवैध नहीं- सुप्रीम कोर्ट
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण के सभी मामलों को अवैध नहीं माना जा सकता है. वहीं, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने एमपी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया.
मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि अवैध धर्मांतरण के लिए शादियां की जा रही हैं और इस पर हम आंखें बंद कर बैठ नहीं सकते हैं. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को तय की है.
किस कानून पर लगाई रोक?
मप्र धार्मिक स्वतंत्रता कानून के तहत झूठ बोलकर या झांसा देकर, प्रलोभन, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती शादी करने या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को प्रतिबंधित किया गया है. वहीं, स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों को जिला कलेक्टरों की पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य है. मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून की धारा 10 का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई का नियम है.
हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह सहमति से अंतर धार्मिक शादी करने वाले वयस्कों पर मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून (MPFRA) की धारा 10 के तहत मुकदमा न चलाए.