सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (14 अक्टूबर, 2024) को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की भूमि लीज रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने लीज रद्द करने पर रोक लगाने को लेकर खूब दलीलें दीं, लेकिन कोर्ट ने इससे साफ इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने साल 2015 में मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को जमीन लीज पर दिए जाने के दौरान तत्कालीन सरकार की ओर से अपनाए गए रवैये पर हैरानी जताई और कहा कि ये तथ्य तो परेशान करने वाले हैं. हालांकि, कोर्ट ने योगी सरकार से यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा का ख्याल रखने और उन्हें किसी अच्छे शिक्षण संस्थान में एडमिशन दिए जाने को कहा है.


लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी सुनवाई कर रहे थे. पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूमि लीज रद्द किए जाने के खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी समिति की याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट के जजमेंट से पता चलता है कि साल 2015 में जब ट्रस्ट को भूमि लीज पर दी गई, उस वक्त आजम खान खुद यूपी सरकार में ग्रामीण विकास और माइनॉरिटी वेलफेयर मंत्रालय संभाल रहे थे. जिस ट्रस्ट को भूमि दी गई उसमें भी आजम खान लाइफटाउम मेंबर हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि यह जमीन पहले सरकारी संस्थान के लिए दी जानी थी, लेकिन बाद में एक निजी ट्रस्ट को दे दी गई. ऐसे कैसे सरकारी संस्थान को दी जाने वाली जमीन किसी प्राइवेट ट्रस्ट को दे दी गई.


इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि वह इन तथ्यों को नकार नहीं रहे हैं, सब बातों से सहमत हैं, लेकिन आजम खान का कहना ये है कि उन्हें बिना किसी कारण बताए लीज रद्द कर दी गई. कपिल सिब्बल ने कहा, 'अगर सरकार ने याचिकाकर्ता नोटिस जारी किया होता और कारण बताए होते, तो मैं इसका जवाब दे सकता था क्योंकि, आखिरकार, मामला कैबिनेट के पास गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने (भूमि आवंटन पर) निर्णय लिया था. ऐसा नहीं है कि मैंने कोई निर्णय लिया.'


कपिल सिब्बल की इस दलील पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आजम खान ने पद का दुरुपोयग किया है. उन्होंने कहा, 'जब मैंने ऑर्डर पढ़ना शुरू किया तो मुझे लगा ठीक है, नोटिस देखते हैं कि आपको मौका दिया गया था या नहीं, लेकिन जब मैंने इन फैक्ट्स को देखा तो.' कपिल सिब्बल ने इस पर फिर बहस की और कहा कि लीज रद्द करना गलत था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया के यूनिवर्सिटी में गरीब बच्चों को बहुत कम फीस पर तालीम दी जाती है. पांच फीसदी बच्चों से सिर्फ 20 रुपये फीस लेते हैं. उन्होंने सीजेआई से गुहार लगाई कि 18 मार्च से बच्चों के एग्जाम थे और 14 मार्च को पट्टा रद्द कर दिया. ये लाभकारी संस्था नहीं है. इस कार्रवाई की वजह से 300 बच्चे स्कूल नहीं जा सके. 


कपिल सिब्बल की दलील पर सीजेआई ने उन्हें टोकते हुए कहा, 'मिस्टर सिब्बल, लेकिन ऑर्डर में जो तथ्य हैं वो परेशान करने वाले हैं. हम इसको छोड़ देंगे.' कपिल सिब्बल ने यहां फिर से कहा कि वह इस बात से सहमत हैं, लेकिन उन 300 बच्चों का क्या, जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने कोर्ट से गुजारिश की कि सरकार से इन बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था करने के लिए कहा जाए. कोर्ट ने कपिल सिब्बल की दलीलों का संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी बच्चे को उपयुक्त शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित न किया जाए. राज्य सरकार ने लीज शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को आवंटित 3.24 एकड़ भूखंड का पट्टा रद्द कर दिया था. सरकार का कहना है कि यह भूमि मूल रूप से एक शोध संस्थान के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन वहां एक स्कूल चलाया जा रहा था.


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