बोहरा मुस्लिम महिलाओं के खतना पर SC ने कहा- क्या वे पालतू मवेशी हैं?
बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना करने की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कि महिला सिर्फ पति की पसंदीदा बनने के लिए ऐसा क्यों करे? उसकी भी अपनी पहचान है.
नई दिल्ली: बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना करने की प्रथा के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई शुरू की. कोर्ट ने माना कि पहली नज़र में ये प्रथा महिला की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली लगती है. हालांकि, इस व्यवस्था को बनाए रखने के पक्ष में धार्मिक संगठनों की दलीलें अभी बाकी हैं. सुनवाई कल भी जारी रहेगी.
सुनवाई की शुरुआत याचिकाकर्ता सुनीता तिवारी के वकील ने की. उन्होंने बताया कि बोहरा मुस्लिम समुदाय इस व्यवस्था को धार्मिक नियम कहता है. समुदाय का मानना है कि 7 साल की लड़की का खतना कर दिया जाना चाहिए. इससे वो शुद्ध हो जाती है. ऐसी औरतें पति की भी पसंदीदा होती हैं.
सुनवाई कर रही 3 जजों की बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस पर कहा, "महिला सिर्फ पति की पसंदीदा बनने के लिए ऐसा क्यों करे? क्या वो पालतू मवेशी है? उसकी भी अपनी पहचान है." चीफ जस्टिस ने माना कि ये व्यवस्था भले ही धार्मिक हो, लेकिन पहली नज़र में महिलाओं की गरिमा के खिलाफ नज़र आती है.
इसके बाद बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बात को आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा, "सवाल ये है कि कोई भी महिला के जननांग को क्यों छुए? वैसे भी धार्मिक नियमों के पालन का अधिकार इस सीमा से बंधा है कि नियम 'सामाजिक नैतिकता' और 'व्यक्तिगत स्वास्थ्य' को नुकसान पहुंचाने वाला न हो."
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि खतना की प्रक्रिया को अप्रशिक्षित लोग अंजाम देते हैं. कई मामलों में बच्ची का इतना ज्यादा खून बह जाता है कि वो गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है. इसके बाद कुछ बोहरा महिलाओं की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने जिरह शुरू की.
इंदिरा जयसिंह ने कहा, "मेरी मुवक्किल का बचपन मे खतना किया गया. वो अब तक इसकी मानसिक पीड़ा से बाहर नहीं आ पाई है. खतना में आमतौर पर क्लिटोरल हुड (भगशिश्न के बाहर का उभरा हुआ हिस्सा) काटा जाता है. इसके कुछ और तरीके भी होते हैं. सब पर प्रतिबंध लगना चाहिए."
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इंदिरा जयसिंह ने आगे कहा, "दुनिया भर में ऐसी प्रथाएं बैन हो रही हैं. खुद धार्मिक अंजुमन ऐसा कर रहे हैं. इस्लाम भी मानता है, जहां रहो, वहां के कानून का सम्मान करो. वैसे भी, किसी को भी बच्ची के जननांग छूने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए. IPC की धारा 375 की बदली हुई परिभाषा में ये बलात्कार के दायरे में आता है. बच्ची के साथ ऐसा करना पॉक्सो एक्ट के तहत भी अपराध है."
सुनवाई के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्लिटोरल हुड के कट जाने से महिलाएं यौन सुख से वंचित हो जाती हैं. इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से आग्रह किया कि वो मसले पर विस्तार से सुनवाई करे. इस आधार पर सुनवाई न बंद की जाए कि इसका असर पुरुष खतना प्रथा पर भी पड़ सकता है. कल बोहरा मुस्लिम अंजुमन की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलीलें रखेंगे.
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