Common Cause Plea: सरकारी पैसे से प्रचार करने वाले मुख्यमंत्रियों को रोकने के लिए याचिका, SC ने जारी किया नोटिस
SC On Common Cause Plea: एनजीओ 'कॉमन कॉज़' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि इन दिनों राज्य की सरकारें अपने नेता और पार्टी का प्रचार सरकारी पैसे से करती नजर आ रही है.
Supreme Court On CM Advertisement: पैसा जनता का और पूरे देश में प्रचार मुख्यमंत्री का. यह चलन इन दिनों बहुत बढ़ गया है. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट की नज़र पड़ी है. सरकारी विज्ञापनों पर नियंत्रण की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी.
यह मांग हुई?
बेंच ने यह भी कहा कि विज्ञापन का उद्देश्य राज्य में पर्यटन या निवेश को बढ़ावा देना भी हो सकता है. इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्य के हित में दिए गए विज्ञापन पर किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन, राज्य सरकारें सिर्फ ऐसे विज्ञापन नहीं दे रही हैं. वह दूसरे राज्यों में अपनी ऐसी बातों का प्रचार करती है, जिनका कि उस राज्य से कोई लेना-देना नहीं होता.
कॉमन कॉज की याचिका में यह मांग भी की गई कि कोर्ट सरकारों को एडवर्टोरियल छपवाने से भी रोके. एडवर्टोरियल अखबार के पूरे पन्ने या उसके बड़े हिस्से में छपने वाले ऐसे विज्ञापन होते हैं, जो पहली नजर में देखने मे समाचार जैसे लगते हैं. एनजीओ ने चुनाव से 3 महीने पहले सरकारी विज्ञापनों पर रोक की भी मांग की है. इसके अलावा उसने मुख्यमंत्री या मंत्रियों की तस्वीर विज्ञापन के साथ छापने को भी गलत बताया है.
कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन
याचिका में यह भी बताया गया कि 2015 में कॉमन कॉज की ही याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों पर नियंत्रण को लेकर कई निर्देश दिए थे जिसका कि सरकारें पालन नहीं कर रही है. केंद्र ने विज्ञापन सामग्री पर नियंत्रण के लिए 'कमेटी ऑन रेग्युलेशन ऑफ गवर्नमेंट एडवर्टाइजमेंट (CCRGA)' बना रखी है लेकिन, यह संस्था सही ढंग से काम नहीं कर रही. इस कमिटी में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश को रखा जाना चाहिए. कमेटी की एक वेबसाइट भी होनी चाहिए, जहां से कि आम लोग को इसके काम के बारे में जानकारी मिल सकें.
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