Supreme Court On Domestic Violence: सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता. हर मामले में अलग परिस्थितियां होती हैं. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप जानते हैं कि शादी के पहले 3 साल के भीतर कितनी युवा महिलाएं मर जाती हैं? दरअसल, अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी ने यह याचिका दायर की थी. 


क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि शादीशुदा मर्दों में आत्महत्या करने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इतना ही नहीं इस याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला भी दिया गया और कहा गया कि पुरुषों की समस्याओं को समझने और उनके हल के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई से किया इनकार 
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्त की पीठ ने मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि यह विषय ऐसा नहीं है जिसमें कानून में कोई व्यवस्था ही नहीं है. उन्होंने कहा कि आप एक तरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि क्या आप जानते हैं कि शादी के पहले 3 साल के भीतर कितनी युवा महिलाएं मर जाती हैं? क्या आप इन 3 सालों के भीतर का डेटा पेश कर सकते हैं?  


दरअसल, याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि साल 2021 में पारिवारिक समस्याओं के कारण तकरीबन 33.2 फीसदी पुरुषों ने और विवाह संबंधी कारणों  के चलते 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने अपना जीवन खत्म कर लिया था. इसी याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी सुसाइड नहीं करना चाहता है, हर मामले में अलग परिस्थितियां होती हैं.


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