Supreme Court On Domestic Violence: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 फरवरी) को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक बुलाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पाया कि देश के 801 जिलों में 4.7 लाख घरेलू हिंसा के मामले लंबित हैं. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार डोमेस्टिक वायलेंस अधिनियम के सभी पहलुओं पर गहनता से विचार करे और घरेलू हिंसा के पीड़ितों को राहत और सुरक्षा प्रदान करे. 


कोर्ट ने कहा कि संघ और राज्य सरकारों के सचिवों की बैठकों में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष का एक नामित व्यक्ति भी शामिल होगा. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के माध्यम से केंद्र सरकार के सुझावों को स्वीकार करते हुए पीठ ने इन उच्च अधिकारियों की बैठक को तीन सप्ताह के अंदर बैठक करने का आदेश दिया है. 


इन बातों पर रखा जाएगा फोकस


इस बैठक में चर्चा की जाएगी कि क्या घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा अधिकारी और वन-स्टॉप सेंटर हो सकते हैं या नहीं. ऐश्वर्या भाटी ने सुझाव दिया कि राज्यों को प्रत्येक सुरक्षा अधिकारी को सौंपे गए मामलों की संख्या के आंकड़े सामने लाने चाहिए. हर जिले में पीओ की वर्तमान संख्या और क्या उनकी संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है और डोमेस्टिक वायलेंस अधिनियम, 2005 के तहत इंप्लीमेंटेशन पर राज्यों के उनके अनुभव के बारे में जानकारी एकत्र करना इस बैठक का हिस्सा होगा. 


'मिशन शक्ति' पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश 


इसके साथ ही पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एकीकृत महिला अधिकारिता कार्यक्रम 'मिशन शक्ति' पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि मंत्रालय प्रत्येक जिले में कितने 'वन-स्टॉप सेंटर' प्रस्तावित हैं, इस बारे में जानकारी दे और पता लगाए कि वर्तमान में कितने कार्यरत हैं. एक सामान्य पोर्टल और डैशबोर्ड को लेकर भी जानकारी मांगी गई है. 


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