SC On Evacuation Of Indians From Ukraine: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों की सुप्रीम कोर्ट ने सरहाना की है. कोर्ट ने अपनी तरफ से सुझाव देते हुए कहा कि सरकार छात्रों और अभिभावकों के लिए हेल्पलाइन बनाने पर भी विचार करे. कोर्ट ने मामले में याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी को फटकार लगाते हुए कहा कि उनका मकसद सिर्फ संकट से उपजे हालात में चर्चा हासिल करना है. कोर्ट ने वकील से कहा कि ऐसी याचिकाओं के लिए उन पर पहले भी हर्जाना लग चुका है.


'केंद्रीय मंत्री संपर्क में'
कल वरिष्ठ वकील ए एम डार ने यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर पर फंसी छात्रा का मसला कोर्ट में रखा था. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा था कि वह सरकार से बात कर मदद का प्रयास करें. आज वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छात्रा से संपर्क किया. उसे रोमानिया ले आया गया है. आज रात तक उसके भारत पहुंच जाने की उम्मीद है. वकील ए एम डार और जजों ने इस प्रयास की सराहना की.


'17 हज़ार को निकाला गया' 
अटॉर्नी जनरल ने चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच को बताया कि यूक्रेन से अब तक 17 हज़ार भारतीयों को निकाला जा चुका है. अभी भी 7 हज़ार तक लोग वहां हो सकते हैं. प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति पर चिंतित हैं. उन्होंने कैबिनेट की बैठक बुला कर मंत्रियों को निर्देश दिए हैं. अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से आग्रह किया कि मामला सरकार को देखने दिया जाए. उन्होंने बताया कि ऐसी ही एक याचिका राजस्थान हाई कोर्ट में दाखिल हो गई है. इस तरह से याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी.


'हाई कोर्ट न करें सुनवाई'
चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह मानता है कि सरकार बहुत से कदम उठा रही है. उसे केंद्रीय हेल्पलाइन बनाने पर भी विचार करना चाहिए. उन्होंने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह सभी हाई कोर्ट में अपने सहयोगियों को सूचित कर दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इसलिए, किसी भी हाई कोर्ट में सुनवाई की ज़रूरत नहीं है. सुनवाई के अंत में बेंच ने निर्देश दिया कि मामला शुक्रवार, 11 मार्च को सुनवाई के लिए लगाया जाए.


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