सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बूथ कब्जा करने, फर्जी वोटिंग के मामलों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए
Supreme Court on Fake Voting: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बूथ कब्जा करना और फर्जी वोटिंग कानून और लोकतंत्र को प्रभावित करता है. कोर्ट ने मतदान की स्वतंत्रता को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा भी बताया.
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Supreme Court on Fake Voting: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः कानून और लोकतंत्र के शासन को प्रभावित करता है. कोर्ट ने झारखंड में एक मतदान केंद्र पर दंगा करने के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए ये बात कही. साथ ही कोर्ट ने मतदान की स्वतंत्रता को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा भी बताया.
अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. पीठ ने कहा, "चुनावी प्रणाली का सार ये होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी पसंद से मत का इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. इसलिए बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः लोकतंत्र और कानून के शासन को प्रभावित करता है."
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट की गोपनीयता जरुरी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता जरूरी है. पीठ ने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है. लोकतंत्र में जहां प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाले और अपने वोट का खुलासा होने पर उसे निशाना ना बनाया जाए.
पीठ ने कहा, "लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं. चुनाव एक ऐसा तंत्र है जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है."
कोर्ट ने याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह की अपील खारिज की
शीर्ष अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह की अपील खारिज कर दी. सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाना) और 147 (दंगा) के तहत दोषी ठहराया गया था. लक्ष्मण सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य ने मामले में उन्हें दी गई छह महीने की सजा के खिलाफ अपील को प्राथमिकता नहीं दी.
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