बिल्डर की शिकायत उपभोक्ता आयोग से करें या RERA से, यह फैसला लेने का अधिकार मकान खरीदार को : SC
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 2016 का रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट किसी व्यक्ति को उपभोक्ता आयोग जाने से नहीं रोकता है.
नई दिल्ली: मकान देने में बिल्डर की तरफ से हो रही देरी या किसी और कमी की शिकायत लोग उपभोक्ता फोरम में कर सकते हैं. मकान खरीदारों से जुड़े एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 2016 का रियल एस्टेट रेग्युलेशन (RERA) एक्ट किसी व्यक्ति को उपभोक्ता आयोग में जाने से नहीं रोकता.
असल में RERA कानून के तहत बिल्डर-खरीदार विवाद से जुड़े मामलों की शिकायत रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी में करने की व्यवस्था है. इसी को आधार बना कर गुरुग्राम के इम्पीरिया स्ट्रक्चर्स नाम के बिल्डर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
2011 में लोगों से बुकिंग राशि लेने के बाद बिल्डर ने लंबे समय तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया. 2017 में निवेशकों ने NCDRC का दरवाज़ा खटखटाया. 2018 में NCDRC ने बिल्डर को लोगों का पैसा ब्याज समेत लौटाने और प्रति निवेशक 50 हज़ार रुपए का हर्जाना भी चुकाने को कहा.
इस फैसले के खिलाफ बिल्डर की अपील पर फैसला देते हुए जस्टिस यु यु ललित और विनीत शरण की बेंच ने कहा है कि RERA कानून उपभोक्ता संरक्षण कानून के आड़े नहीं आता. RERA एक्ट की धारा 79 में किसी सिविल कोर्ट को बिल्डर-खरीदार विवाद पर सुनवाई से मना किया गया है. लेकिन उपभोक्ता फोरम सिविल कोर्ट नहीं है.
फैसले में यह भी कहा गया है कि RERA कानून की धारा 71(1) में यह ज़रूर कहा गया है कि इस कानून के आने से पहले NCDRC में दर्ज मामलों को उपभोक्ता RERA में ट्रांसफर करवा सकता है. लेकिन इसे अनिवार्य नहीं कहा गया है.
यानी यह उपभोक्ता की इच्छा और है कि वह मामला NCDRC में चलाना चाहता है या RERA में. RERA कानून लागू होने के बाद भी यह नहीं कहा जा सकता कि अब कोई मकान खरीदार उपभोक्ता आयोग में शिकायत नहीं कर सकता. RERA कानून में ऐसी कोई मनाही नहीं की गई है.