Supreme Court ने ACB के खिलाफ कर्नाटक HC के आदेश पर लगाई रोक, जज की टिप्पणियों को बताया गैरजरूरी
SC on Karnataka ACB: कर्नाटक सरकार और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के प्रमुख सीमांत कुमार सिंह ने हाईकोर्ट के जज की तरफ से लगातार की जा रही टिप्पणी और आदेश का मसला सुप्रीम कोर्ट में रखा था.
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Supreme Court on Karnataka HC Judge: कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जज की तरफ से राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के खिलाफ दिए गए आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जज की तरफ से मामले में की गई टिप्पणियों को भी गैरज़रूरी बताया है. ज़मानत के एक मामले को सुनते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के जज जस्टिस एच पी संदेश ने ACB की पूरी फ़ाइल खोल दी थी. ACB प्रमुख के खिलाफ जांच का भी आदेश दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट के जज से कहा है कि वह सिर्फ अपने सामने लंबित ज़मानत याचिका को सुने. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एच पी संदेश से आग्रह किया था कि वह फिलहाल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के खिलाफ मामले की सुनवाई न करें. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वह सुनवाई से पहले हाईकोर्ट जज की तरफ से दिए गए आदेशों को पढ़ना चाहती है. अब हाईकोर्ट के आदेशों को पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रोक लगाना उचित समझा है.
राज्य सरकार और ACB प्रमुख की याचिका
कर्नाटक सरकार और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Courruption Bureau) के प्रमुख सीमांत कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जज की तरफ से लगातार की जा रही टिप्पणी और पारित किए जा रहे आदेश का मसला सुप्रीम कोर्ट में रखा था. राज्य सरकार तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया, "जज के सामने ज़मानत का एक केस गया था. उन्होंने ज़मानत पर कुछ नहीं कहा, लेकिन ACB के कामकाज में दिक्कत पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू कर दी. जज को संज्ञान लेने का अधिकार है, लेकिन उसके बाद उन्हें मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज देना चाहिए था. चीफ जस्टिस रोस्टर के हिसाब से उचित बेंच को मामला सौंप देते.
खुली कोर्ट में पढ़ा अधिकारी का ACR
ADGP सीमांत कुमार सिंह के लिए पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि जस्टिस एचपी संदेश ने 2016 से एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से मामले में की गई कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट मांगी. ब्यूरो की तरफ से बंद किए गए मामलों का ब्यौरा मांगा. यहां तक कि उन्होंने ADGP का सर्विस रिकॉर्ड (ACR) भी मंगा लिया. उसे खुली कोर्ट में पढ़ा गया. उन्होंने CBI से भी इस बात पर रिपोर्ट मांगी थी कि उसने 2010 के खनन घोटाले में सीमांत सिंह के खिलाफ क्या कार्रवाई की है.
ट्रांसफर की धमकी का दावा
गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka HC) के जस्टिस एचपी संदेश (Justice H P Sandesh ) ने राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) को 'वसूली केंद्र' कहा था. उन्होंने ACB प्रमुख सिंह को भी 'दागी अधिकारी' बताया था. उन्होंने यह भी कहा था कि आईपीएस सीमांत सिंह बहुत प्रभावशाली अधिकारी हैं. उनके दिल्ली में अच्छे संपर्क हैं. जज ने दावा किया था कि उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट के ही एक अन्य जज ने बताया है कि इस बारे में उनके पास दिल्ली (Delhi) से फोन आया था. उस फोन में यह भी कहा गया था कि उनका उसी तरह ट्रांसफर हो सकता है, जैसे पहले एक और जज का हो चुका है.
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