नई दिल्ली: देश की सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. अदालत ने कहा कि यहां-वहां फंसे लोगों को सहायता की ज़रूरत है. सरकारी इंतज़ाम पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं.


शीर्ष अदालत ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर प्रवासी मजदूरों को परेशानियों से मुक्ति दिलाने के लिए उठाये गये कदमों पर जवाब मांगा है.


गुरुवार को इसपर विस्तृत सुनवाई. जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम आर शाह की बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स और कोर्ट को भेजी गई चिट्ठियों के हवाले से आज खुद मामले पर संज्ञान लिया है.


देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दो महीने से अधिक समय से लॉकडाउन है. लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ा मुसीबत साबित हुआ है. रोजगार बंद हो गए और इसकी वजह से लाखों की संख्या में मजदूर पैदल ही घर वापस लौटने को मजबूर हुए हैं.


केंद्र और राज्य सरकार ने मजदूरों की बदहाली को देखते हुए कई बड़े फैसले लिए. केंद्र ने श्रमिक ट्रेन चलाई और राज्यों से खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए कहा है. साथ ही गरीबों के खाते में पैसे भेज रही है.


गृह मंत्रालय ने कहा- देश में 4 करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर, लॉकडाउन में 75 लाख से ज्यादा लौटे घर