सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को झारखंड के कथित जमीन घोटाले पर सुनवाई हुई.  इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी का बैंक स्टेटमेंट मांगा, ताकि कथित तौर पर गलत संपत्ति दस्तावेज बनाकर रांची में भारतीय सेना की 4.55 एकड़ जमीन की बिक्री से संबंधित वित्तीय लेनदेन का पता लगाया जा सके. 
 
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इसी कथित जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी हैं. वे अभी जमानत पर हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सह आरोपी दिलीप घोष को झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग ठुकराई

जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा दिलीप घोष की ओर से पेश वकील से कहा, आप आज शाम तक संबंधित अवधि का (आरोपी का) बैंक स्टेटमेंट प्रस्तुत करें. हम इस पर कल सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के वकील की मामले पर बाद में सुनवाई की मांग को भी ठुकरा दिया. 


ED के मुताबिक, भारतीय सेना से संबंधित 4.55 एकड़ जमीन गैर-मालिकों द्वारा गलत दस्तावेज बनाकर बेच दी गई थी. ईडी के मुताबिक, झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू के रहने वाले अफसर अली और उसके साथियों ने कोलकाता के आरओए (रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस, रिकॉर्ड) के कार्यालय में प्रफुल्ल बागची के नाम पर एक फर्जी दस्तावेज तैयार किया, जिसमें दावा किया गया कि यह जमीन प्रफुल्ल बागची की है. 


जांच एजेंसी के मुताबिक, इनमें से कुछ आरोपियों ने इस जमीन को जगतबंधू टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (JTEPL) को बेचने के लिए ऑफर की. इस कंपनी के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं. 


हाईकोर्ट ने भी माना है कि  JTEPL ने यह संपत्ति ₹ 7 करोड़ की सहमत राशि में खरीदी थी, जबकि इसकी वास्तविक कीमत 20 करोड़ रुपये थी. हालांकि, संपत्ति के संबंध में भारतीय सेना के साथ मुकदमा चल रहा था.