Supreme Court: ‘लद्दाख जम्मू कश्मीर से अलग केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा’, जाने क्यों CJI ने कही ये बात
Supreme Court On Union Territory: लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए रखने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सीजेआई ने कहा कि यह संवैधानिक सीमा में किया गया है.
Supreme Court On Ladakh Union Territory: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. इसमें लद्दाख और जम्मू कश्मीर को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने को लेकर भी जजों की टिप्पणी खास है.
370 पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि भारत की संसद को यह अधिकार है कि वह जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना सके. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सोमवार (11 दिसंबर) को पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के केंद्र सरकार के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा है.
"बहाल होगा जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा"
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करके जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.
सीजेआई ने कहा, "बयान के मद्देनजर हमें यह निर्धारित करना आवश्यक नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में पुनर्गठन अनुच्छेद 3 के तहत स्वीकार्य है या नहीं.
उन्होंने कहा, "हालांकि, अनुच्छेद 3 (A) के मद्देनजर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हैं. यह अनुच्छेद भारत की संसद को किसी भी राज्य से एक क्षेत्र को अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है."
"राष्ट्रपति को राज्यों की सहमति की जरूरत नहीं"
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बांटने को लेकर दी गई चुनौती पर आगे कहा कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 (1)(डी) के तहत शक्ति का प्रयोग करने के लिए राज्य सरकारों की सहमति की आवश्यकता नहीं है.
सीजेआई ने कहा, "जम्मू और कश्मीर में संविधान के सभी प्रावधानों को लागू करने के लिए अनुच्छेद 370(1) (डी) के तहत शक्ति का प्रयोग करने के लिए राष्ट्रपति के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक नहीं थी. राष्ट्रपति की शक्तियों को चुनौती नहीं दिया जा सकता."
आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 पर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जिन जजों ने फैसला सुनाया है, उनमें जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, संजय किशन कौल और संजीव खन्ना शामिल थे.
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