Supreme Court On Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की कुकी जनजाति की सुरक्षा की मांग करने वाली मणिपुर जनजातीय मंच की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को इस तरह का निर्देश देना उचित नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि साथ ही, वह केंद्र और मणिपुर राज्य पर मणिपुर के नागरिकों के जीवन की सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालेगा. मणिपुर हिंसा के मामले पर बोलते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों से संतुलन की भावना बनाए रखने और किसी भी नफरत भरे भाषण में भाग नहीं लेने का अनुरोध किया.
मणिपुर में क्या हो रहा है?
बीते 60 दिनों से अधिक समय से मणिपुर जातीय संघर्ष की आग से झुलस रहा है. दो गुट, मैतेई और कुकी की हिंसा के बीच हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और सरकार के बनाए हुए टेंट में उन्होंने अपनी सुरक्षा केो लिए शरण ले रखी है. वहीं मणिपुर में अपनी कार्रवाई के बारे में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा.
मणिपुर सरकार ने सोमवार (10 जुलाई) को कहा कि उसने हिंसा प्रभावित राज्य में जाति, पंथ, धर्म, जनजाति, समुदाय आदि से परे सभी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने के लिए अपने सबसे बेहतरीन कदम उठाए हैं. राज्य के मुख्य सचिव की रिपोर्ट को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया. पीठ ने विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से राज्य में सामान्य स्थिति और शांति बहाल करने के लिए कुछ सकारात्मक सुझाव देने को कहा है.
धीरे-धीरे मणिपुर में सामान्य हो रही है स्थिति
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में अदालत से गुजारिश की थी कि इस मामले को याचिकाकर्ताओं और अन्य पक्षों को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ उठाया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी गलत सूचना, अफवाह या संदेह से मणिपुर में स्थिति बिगड़ सकती है, जहां केंद्र और राज्य सरकारों के ठोस प्रयासों से चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं.