Supreme Court: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की तरफ से दाखिल मानहानि का मुकदमा रद्द करने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपनी सतही बयानबाज़ी के लिए सिसोदिया को सरमा से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए थी. अब उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए.


इससे पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट भी सिसोदिया की याचिका खारिज कर चुका है. सरमा और उनकी पत्नी पर पीपीई किट के सौदे में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपना बचाव करते हुए कहा कि उनका मतलब यह नहीं था कि सरमा भ्रष्ट हैं. उन्होंने सिर्फ एक कांट्रेक्ट पर सवाल उठाए थे.


क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?


जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका ने सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की इस दलील को नामंजूर कर दिया. जस्टिस कौल ने कहा, "अपनी भाषा देखिए. आप प्रेस कांफ्रेंस में कह रहे थे- 'असम के मुख्यमंत्री की बीवी के भ्रष्टाचार का कच्चा-चिट्ठा मेरे पास है.' इसका क्या अर्थ लगाया जाए. आप ने जो कहा, उसका नतीजा भुगतने को तैयार रहना चाहिए."


सिसोदिया के वकील ने कहा, "बाद में असम सरकार ने भी उस कांट्रेक्ट को बदला था. सार्वजनिक जीवन मे थोड़ी रंग-बिरंगी बयानबाज़ी चलती है. मेरा मतलब यह नहीं था कि असम के मुख्यमंत्री भ्रष्ट हैं." इस पर जजों ने कहा, "तो आखिर आपका मतलब क्या था? अब जब मुकदमा दर्ज हो गया है, तो आप यहां सफाई दे रहे हैं. आप मुकदमे का सामना करिए."


मनीष सिसोदिया वापस ली याचिका


जजों ने सिसोदिया को आड़े-हाथों लेते हुए कहा, "आपको इस बात का भी एहसास नहीं कि देश मे तब क्या स्थिति थी. उस आपातकालीन स्थिति में एक सरकार लोगों की मदद के लिए कदम उठा रही थी लेकिन सहयोग करने की बजाय आप आरोप लगाने को ज्यादा जरूरी समझ रहे थे." जजों के सख्त तेवर को देखते हुए मनीष सिसोदिया ने अपनी याचिका वापस ले ली.


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