SC On MBBS Admissions:  दिव्यांग व्यक्ति को एमबीबीएस में दाखिले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी दिव्यांग व्यक्ति को एमबीबीएस में दाखिले से तभी रोका जाना चाहिए, जब मेडिकल बोर्ड यह पाए कि वह पढ़ाई पूरी करने में असमर्थ रहेगा. लगभग 45 प्रतिशत दिव्यांगता वाले छात्र को मेडिकल कोर्स में प्रवेश देते हुए कोर्ट ने यह कहा है.


दरअसल, नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों के मुताबिक 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता होने पर एमबीबीएस में प्रवेश नहीं मिल सकता. अब जस्टिस बी आर गवई, अरविंद कुमार और के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस नियम में बदलाव की जरूरत बताई है. 


डिसेबिलिटी असेसमेंट बोर्ड को सौपा जाना चाहिए मामला


कोर्ट ने कहा है कि दिव्यांग छात्रों का मामला Disability Assessment Board को सौंपा जाना चाहिए. अगर बोर्ड यह कहता है कि दिव्यांग होने की वजह से वो छात्र पढ़ाई पूरी करने में असमर्थ है, तभी उसे प्रवेश से मना किया जा सकता है.


भाषा संबंधी दिव्यांगता वाले उम्मीदवार को लेकर भी SC ने सुनाया था फैसला


इससे पहले 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बोलने और भाषा समझने में लगभग 45 प्रतिशत असमर्थता वाले एक छात्र को मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने का आदेश दिया था. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनकी एडमिशन सीट रद्द कर दी गई, क्योंकि उन्हें 44-45% तक बोलने और भाषा संबंधी दिव्यांगता है. उन्होंने कहा था कि उन्हें कोई और दुर्बलता नहीं है और वो अपनी पढाई पूरी कर सकते हैं. 


जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान छात्र को पढ़ाई के लिए फिट बताया था और कॉलेज को उन्हें एडमिशन देने का आदेश दिया था. आज उसी मामले में कोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है.