Supreme Court On Minority: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर सहित छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्र को अपनी राय नहीं देने पर मंगलवार (17 जनवरी) को नाराजगी जताई.


जस्टिस एस. के. कौल, जस्टिस ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की बेंच ने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि इन राज्यों ने अपना जवाब क्यों नहीं दिया. 


'कहने के लिए कुछ नहीं है'


बेंच ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार को उनकी प्रतिक्रिया लेने का अंतिम अवसर देते हैं. ऐसा नहीं होने पर हम मान लेंगे कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.'' केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कार्य मंत्रालय की दायर हालिया स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 24 राज्यों और छह केंद्रशासित प्रदेशों ने अब तक इस संबंध में अपनी टिप्पणी दी है. 


क्या मान लिया जाएगा? 


पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में दायर स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, लक्षद्वीप, राजस्थान और तेलंगाना से अब तक जवाब नहीं मिला है. जब वेंकटरमणी ने बेंच से कहा कि छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अब तक इस मुद्दे पर अपनी राय नहीं दी है तो बेंच ने कहा कि वे लंबे समय तक ऐसा नहीं कर सकते और यह मान लिया जाएगा कि वे जवाब नहीं देना चाहते हैं.


याचिकाकर्ता ने क्या कहा? 


एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. पीठ ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों का शासन केंद्र सरकार संचालित करती है. 


इस मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है. बेंच ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 21 मार्च की तारीख तय की है.


केंद्र सरकार ने क्या बताया था? 


केंद्र ने पिछले साल 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसने राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य पक्षों के साथ बैठकें की हैं और अब तक 14 राज्यों ने इस संबंध में अपनी राय दी है. बता दें कि कई राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जवाब दाखिल ना करने पर ये नाराजगी जाहिर की. 


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