Supreme Court on PMLA: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (14 अक्टूबर 2024) को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) बीमार, गरीब और कमजोर लोगों को भी जमानत की अनुमति देता है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की.


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, "पीएमएलए चाहे कितना भी कठोर क्यों न हो, न्यायाधीशों के रूप में हमें कानून के चारों कोनों में काम करना होता है. कानून हमें बताता है कि बीमार और कमजोर व्यक्ति को जमानत दी जानी चाहिए. उसका सरकारी अस्पताल में इलाज हो सकता है, यह कानून के अनुसार नहीं है. बीमार या अशक्त होने का मतलब है कि आपको जमानत दी जा सकती है."


2023 में हुई थी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी


दरअसल, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सेवा विकास सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर साधुराम मूलचंदानी (67) की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन्हें 1 जुलाई 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. पीठ ने अपने आदेश में कहा, "पीएमएलए की धारा 45 (1) के प्रावधान में विशेष रूप से यह विचार किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति 'बीमार या अशक्त' है और विशेष अदालत ऐसा निर्देश दे तो उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है.


बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका


पीठ ने आगे कहा कि ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, मुंबई की मेडिकल टीम की ओर से मुहैया किए गए मेडिकल मूल्यांकन के आधार पर  यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करता है. इस साल 9 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर जमानत के लिए मुूलचंदानी की दूसरी अर्जी खारिज कर दी थी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2 सितंबर को नोटिस जारी किया. 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, मुंबई की टीम की ओर से एक नया मेडिकल मूल्यांकन किया जाए। मूल्यांकन चार विशेषज्ञों की एक टीम के जरिए किया गया था और एक रिपोर्ट अदालत को सौंपी गई थी.


मूलचंदानी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित है और कैद में रहने के दौरान डेली एक्टिविटी नहीं कर सकता है.


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