Ambani Family Security: SC ने सरकार को अंबानी परिवार की सुरक्षा बनाए रखने की अनुमति दी, त्रिपुरा HC में चल रही सुनवाई को किया रद्द
Mukesh Ambani Family Security: सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश अंबानी के परिवार की सुरक्षा को लेकर त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है.
Mukesh Ambani Family Security: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और उनके परिवार को दी गई सुरक्षा बनाए रखने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें इस सुरक्षा पर सवाल उठाया गया था. हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर केंद्रीय गृह मंत्रालय के सक्षम अधिकारी को अपने सामने पेश होने और अंबानी परिवार (Ambani Family) को सुरक्षा देने की ज़रूरत पर सफाई देने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि यह मामला आखिर हाई कोर्ट में कैसे सुना जा रहा है. बेंच ने कहा है कि त्रिपुरा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले का मामले से कोई संबंध नहीं है. अंबानी परिवार अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठा रहा है. इस मसले पर किसी सुनवाई की कोई ज़रूरत नहीं.
इससे पहले 29 जून को सॉलिसीटर जनरल ने मसला सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए कहा था कि केंद्र की तरफ से मिली रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने सुरक्षा दी है. इसका त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं. फिर भी वहां सुनवाई हो रही है. उस दिन जस्टिस सूर्य कांत और जमशेद पारदीवाला की बेंच ने हाई कोर्ट की तरफ से 31 मई और 21 जून को जारी आदेशों पर रोक लगा दी. इन आदेशों में गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार की सुरक्षा से जुड़ा ब्यौरा मांगा गया था.
क्या है मामला?
उद्योगपति मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए उन्हें Z+ सुरक्षा दी गई है. उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी Y+ सुरक्षा दी गई है. बिकास साहा नाम के याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के ज़रिए इसे त्रिपुरा हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार को खतरे को लेकर किए गए आकलन का ब्यौरा देने के लिए कहा था. हाई कोर्ट ने कहा था कि मंत्रालय के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जानकारी दें.
इसे चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया था कि सुरक्षा महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई है. इसके खिलाफ पहले दाखिल हुई याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) खारिज कर चुके हैं. इस पूरे मामले का त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं है. सरकार ने यह भी कहा था कि किसी परिवार को सुरक्षा दिए जाने का विरोध जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता.
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