सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 जनवरी, 2025) को आयकर अधिनियम के तहत टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानी TDS सिस्टम को खत्म करने के अनुरोध के साथ दायर की गई जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह हर जगह लगाया जाता है.


भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने हालांकि वकील अश्विनी उपाध्याय को उनकी याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर करने की अनुमति दे दी है. पीठ ने कहा कि याचिका बहुत खराब तरीके से तैयार की गई है और इसे दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया जाना चाहिए.


सीजेआई ने कहा, 'माफ कीजिए, हम इस पर विचार नहीं करेंगे... यह बहुत ही खराब तरीके से तैयार की गई है. हालांकि, आप दिल्ली हाईकोर्ट जा सकते हैं.' उन्होंने कहा कि कई देशों में टीडीएस लगाने की व्यवस्था है. जस्टिस अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर याचिका में टीडीएस प्रणाली को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए इसे समाप्त करने का निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया गया और इसे समानता सहित विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है.


याचिका में आयकर अधिनियम के तहत टीडीएस ढांचे को चुनौती दी गई है, जो भुगतानकर्ता की ओर से किए गए भुगतान के समय कर की कटौती और उसे आयकर विभाग में जमा करने को अनिवार्य बनाता है. कटौती की गई राशि को दाता की कर देयता में समायोजित किया जाता है. याचिका में केंद्र, विधि और न्याय मंत्रालय, विधि आयोग और नीति आयोग को पक्ष बनाया गया था.


 


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