SC On Infrastructure Project: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कई बार किसी प्रोजेक्ट के खिलाफ जनहित याचिका इसलिए दाखिल की जाती है ताकि उससे जुड़े लोगों को ब्लैकमेल किया जा सके. इस टिप्पणी के साथ चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने एक एनजीओ के ऊपर बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से लगाया गया 1 लाख रुपए का जुर्माना बरकरार रखा है.
सारथी सेवा संघ नाम के एनजीओ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मुंबई के वर्ली में एक भूमि रीडिवेलपमेंट प्रोजेक्ट का विरोध किया था. याचिका में कहा गया था, इससे जगह की पारिस्थितिकी (ecology) को नुकसान पहुंचेगा, लेकिन हाई कोर्ट ने जब एनजीओ के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन की जांच की तो पाया कि पर्यावरण की रक्षा एनजीओ के उद्देश्यों में शामिल नहीं है.
1 लाख का जुर्माना क्यों लगाया?
हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि मामले में एक ऐसे याचिकाकर्ता को भी जोड़ा गया है, जो एनजीओ का सदस्य नहीं है. इसके बाद हाई कोर्ट ने गुमराह करने वाली जानकारी देने के लिए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और याचिका खारिज कर दी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एनजीओ को यहां भी राहत नहीं मिली.
'ब्लैकमेल कर वसूली कर सके'
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह पहले भी इस तरह के बहुत मामले देख चुके हैं. मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अक्सर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को जनहित याचिका के जरिए सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जाता है ताकि उससे जुड़े लोगों को ब्लैकमेल कर वसूली की जा सके.
इस मामले में हाई कोर्ट के जज याचिकाकर्ता की मंशा को भांप गए और उन्होंने याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने एनजीओ पर जुर्माना लगाकर सही किया. उसे तुरंत इसका भुगतान करना चाहिए.
यह भी पढ़ें-
Centre on Collegium: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटाए कितने नाम? सरकार ने संसद में बताया