सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को हैरानी जताई है कि बेल मिलने के तुरंत बाद तमिलनाडू सरकार में वी. सेंथिल बालाजी को मंत्री पद मिल गया. कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है कि कहीं गवाह किसी दबाव में ने आ जाएं. सेंथिल बालाजी को 26 सितंबर को मनी लॉनड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया था. 


सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में कोर्ट से वह फैसला वापस लेने की मांग की गई थी, जिसमें सेंथिल बालाजी को इस आधार पर जमानत दी गई कि अगर वह मंत्री बनाए गए तो गवाह दबाव में आ सकते हैं. जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच यचिका पर सुनवाई कर रही थी. 


बेंच ने कहा, 'हमने आपको बेल दी और आप अगले ही दिन मंत्री बन गए. हर किसी को यही लगेगा कि स्टेट कैबिनट में सीनियर मंत्री के पद पर होने की वजह से गवाह आपके दबाव में आ जाएंगे. ये क्या चल रहा है?' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला वापस लेने से इनकार कर दिया और मामले को 13 दिसंबर तक के लिए लिस्ट कर दिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह फैसला वापस नहीं लेगा क्योंकि जिस कानून के तहत सेंथिल बालाजी को बेल दी गई, उसका और लोगों को भी लाभ मिला है. हालांकि, गवाहों पर दबाव के मामले को हम देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि याचिका में आशंक जताई गई है कि कोर्ट से बेल मिलने के तुरंत बाद सेंथिल बालाजी को मंत्री बना दिया गया, जिसकी वजह से गवाह दबाव में आ सकते हैं क्योंकि वह कैबिनेट में सीनियर मंत्री हैं.


याचिकाकर्ता ने सेंथिल बालाजी पर लगे आरोपों की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि आरोपी के मंत्री पद पर होने के कारण गवाह गवाही देने से पीछे हट सकते हैं. बेंच ने कहा कि याचिका में सिर्फ यही एक पॉइंट है, जिस पर कोर्ट सुनवाई कर सकता है. इसके अलावा फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई और कारण नहीं है और याचिका पर सुनवाई सिर्फ गवाहों को लेकर जताई गई चिंता तक ही सीमित रहेगी.


सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को सेंथिल बालाजी को इस आधार पर जमानत दी थी कि वह जून, 2023 से कैद में हैं और ट्रायल के जल्दी शुरू होने की कोई संभावना नहीं है. जेल से रिहा होने के तीन दिन बाद ही 29 सितंबर को तमिलनाडू की एमके स्टालिन सरकार में सेंथिल बालाजी ने कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर शपथ ली थी.


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