Shaikh Ali Gumti: दिल्ली के बेहद पॉश इलाके डिफेंस कॉलोनी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) पर सुप्रीम कोर्ट ने 40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. RWA ने लगभग 60 साल से एक ऐतिहासिक धरोहर इमारत को अपना ऑफिस बना रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इमारत खाली कर उसे सरकार को सौंपने के लिए कहा है. इमारत को पुरानी स्थिति में लाने के लिए RWA से 40 लाख का खर्च देने को भी कहा है.
दिल्ली में लोदी वंश के शासन के दौरान बनी 'शेख अली की गुमटी' का सही इतिहास किसी को मालूम नहीं है लेकिन यह इमारत 15वीं सदी की मानी जाती है. इस लिहाज से यह लगभग 600 साल पुरानी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस इमारत को केंद्र सरकार के लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस को सौंप दिया है. इसके पुराने स्वरूप को वापस लाने का जिम्मा दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को दिया गया है.
RWA ने शेख अली की गुमटी में अपना कार्यालय बनाया
RWA ने कोर्ट में दलील दी थी कि डिफेंस कॉलोनी के लिए सरकार ने 50 के दशक में जमीन आवंटित की थी. इस कॉलोनी को बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आने वाले सैन्य अधिकारियों के लिए बसाया गया था. कॉलोनी के बनने के दौरान वहां मौजूद सभी पुराने निर्माण को गिरा दिया गया था. सेना के इंजीनियरों ने शेख अली की गुमटी को 'कंस्ट्रक्शन ऑफिस' की तरह इस्तेमाल किया. बाद में RWA ने वहां अपना कार्यालय बना लिया.
कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से जानकारी मांगी थी कि यह संरक्षित स्मारक है या नहीं? ASI ने अपने जवाब में इस इमारत की ऐतिहासिकता की पुष्टि की थी लेकिन यह भी बताया था कि इमारत में काफी बदलाव हो चुके हैं. अब उसे संरक्षित स्मारक का दर्जा नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने एक ऐतिहासिक जगह का मूल स्वरूप बचा पाने में ASI के उपेक्षापूर्ण रवैये की कड़ी आलोचना की थी.
'इमारत के संरक्षण का बाकी खर्च केंद्र और दिल्ली सरकार वहन करे'
इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने RWA से पूछा था कि उस पर कितना जुर्माना लगाया जाए. 25 मार्च को हुई सुनवाई में RWA के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धुलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच को बताया कि उसने इमारत खाली कर सरकार को कब्जा सौंप दिया है. RWA ने जुर्माने को लेकर कोर्ट से रियायत बरतने की अपील की.
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलोनी में रहने वालों के आपसी चंदे से भुगतान की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'कॉलोनी पहले से काफी बदल चुकी है. 1000 प्लाट में लगभग 4000 फ्लैट बन चुके हैं. ऐसे में 40 लाख रुपए की रकम आपके लिए बहुत ज्यादा नहीं होगी. इमारत के संरक्षण का बाकी खर्च केंद्र और दिल्ली सरकार वहन करे'.
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