(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ईसाइयों के लिए वेटिकन तो तिरुपति अलग राज्य क्यों नहीं? याचिकाकर्ता के सवाल पर जगन्नथा, रामेश्वरम, केदारनाथ, बद्रीनाथ का नाम लेकर SC ने दिया ये जवाब
याचिकाकर्ता ने कहा कि पिछले महीने एसआईटी से तिरुपति प्रसाद की जांच कराने का निर्देश दिया गया, लेकिन इसके लिए कोई समया सीमा तय नहीं की गई. उन्होंने मांग की कि 90 दिन या 6 महीने की लिमिट होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली जनहित याचिका को शुक्रवार (8 नवंबर, 2024) को खारिज कर दिया. साथ ही उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें तिरुपति शहर को अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि इस तरह तो देश में जितने भी बड़े धार्मिक स्थल हैं, सबके लिए अलग राज्य घोषित कर दिया जाना चाहिए.
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के अध्यक्ष के ए पॉल ने दाखिल की थी और जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा, 'आपके निवेदन के अनुसार, हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग व्यवस्था बनानी होगी. हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग व्यवस्था बनाई जाए.'
याचिकाकर्ता ने बेंच से कहा कि अगर 764 ईसाई लोगों के लिए अलग देश (वेटिकन) बनाया जा सकता है तो 34 लाख लोगों के लिए अलग राज्य क्यों नहीं. तिरपुति आंध्र प्रदेश का शहर है, जिसकी आबादी 34 लाख है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की छवि की रक्षा करने और मौलिक मानवाधिकारों का संरक्षण करने के लिए उन्होंने यह याचिका दाखिल की थी. के. ए. पॉल ने कहा कि इस बारे में सोचना चाहिए, सरकार ने इतने सारे केंद्र शासित प्रदेश और 29 राज्य बनाएं हैं तो 30 लाख लोगों के लिए एक केंद्र शासित प्रदेश क्यों नहीं हो सकता.
इस पर जस्टिस गवई ने कहा, 'तब तो हमें जगन्नाथ पुरी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, मदुरै, रामेश्वरम और महाराष्ट्र के लिए 4-5 और अमृतसर गुरुद्वारा के लिए भी अलग-अलग राज्य घोषित करने होंगे. के. ए. पॉल ने अपनी याचिका में लड्डू प्रसादम की खरीद और निर्माण में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से व्यापक जांच कराए जाने का आग्रह किया था.
कोर्ट ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को देखते हुए चार अक्टूबर को तिरुपति लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक युद्ध के मैदान के रूप में नहीं किया जा सकता.
पॉल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा लड्डू प्रसादम के निर्माण में मिलावटी घी सहित घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाए जाने से भक्तों के बीच गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं और प्रसाद की पवित्रता पर सवाल खड़ा हो गया है.
उन्होंने कहा कि एक महीने पहले एसआईटी का गठन कर प्रसाद की जांच कराए जाने का आदेश दिया गया था, लेकिन कोई समयसीमा नहीं तय की गई और अभी तक जांच शुरू भी नहीं हुई है. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि जांच के लिए 90 दिन या छह महीने की समयसीमा तय करने का निर्देश देना चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने कोई भी निर्देश पारित करने से परहेज किया.
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