'घड़ी' पर चाचा-भतीजे में घमासान जारी, SC ने अजित पवार से 36 घंटे में 'कोर्ट में विचाराधीन' विज्ञापन छपवाने को कहा
Ajit Pawar to Supreme Court : अजित पवार के लिए पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि वह कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन कर रहे हैं.
Supreme Court to Ajit Pawar : सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा है कि वह 36 घंटे में इस बात का डिस्क्लेमर अखबारों में छपवाएं कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला कोर्ट में विचाराधीन है. कोर्ट ने कहा कि खास तौर पर मराठी अखबारों में यह डिस्क्लेमर छपवाए जाएं. 2 जजों की बेंच ने यह भी कहा कि अजित पवार आदेश के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल करें. 13 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी के अजित पवार गुट को घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग शरद पवार ने की है. हालांकि, आज भी कोर्ट ने ऐसा आदेश नहीं दिया. शरद पवार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को अपने विज्ञापनों में घड़ी चुनाव चिन्ह के नीचे यह लिखने को कहा था कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा.
अजित पवार के लिए पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि वह कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन कर रहे हैं. उन्होंने इसकी फोटो भी दाखिल की हैं. वह समाचार पत्रों में नए डिस्क्लेमर के साथ विज्ञापन भी देने वाले हैं. इस पर बेंच ने कहा कि अखबार मे डिस्क्लेमर प्रकाशित करने मे इतना समय क्यो लग रहा है?
शरद पवार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजित पवार गुट ने बिना डिस्क्लेमर लगाए जारी किए गए अपने कई वीडियो हटा दिए हैं. लेकिन अभी भी अजित पवार से जुड़े लोग शरद पवार के वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें घड़ी लगी हुई है. इनके नेता कह रहे हैं कि कोर्ट में कुछ नहीं होगा. घड़ी निशान उनके पास ही बना रहेगा. अजित के वकील ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी पिछले साल 2 हिस्सों में बंट गई थी. इस साल 7 फरवरी को चुनाव आयोग ने अजित पवार की पार्टी को असली एनसीपी माना था. इसके चलते घड़ी चिन्ह अजित पवार के पास है. शरद पवार गुट ने फरवरी में ही चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी. फिलहाल यह मामला विस्तृत सुनवाई के लिए लंबित है. सुप्रीम कोर्ट विस्तृत सुनवाई के बाद ही यह तय करेगा कि असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) चाचा शरद पवार की है या भतीजे अजित पवार की. लेकिन शरद पवार यह चाहते हैं कि अगर वह घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो अजित पवार भी ऐसा न कर सकें.
लोकसभा चुनाव से पहले भी शरद गुट ने यह कोशिश की थी. लेकिन 19 मार्च को कोर्ट ने अजित पवार गुट को घड़ी का इस्तेमाल करने से नहीं रोका था. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह शरद गुट को एनसीपी शरदचंद्र पवार के तौर पर अंतरिम मान्यता दे. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उसके उम्मीदवारों को 'तुरही' चिन्ह आवंटित करे.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अजित पवार गुट फिलहाल एनसीपी के मूल चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का इस्तेमाल करे. लेकिन वह हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में सूचना जारी करे कि इस चिन्ह का मामला अभी न्यायालय में लंबित है. अपने विज्ञापनों में भी यह जानकारी प्रकाशित करे. वह चुनाव प्रचार में शरद पवार की तस्वीरों का भी इस्तेमाल न करे. साथ ही, कोर्ट ने शरद पवार खेमे से भी कहा था कि उसके नेता और कार्यकर्ता खुद को एनसीपी की बजाय एनसीपी एसपी (शरदचन्द्र पवार) कहें. हर जगह घड़ी की जगह तुरही चिन्ह का इस्तेमाल करें.