नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मंत्री थोनाजम श्यामकुमार को तुरंत प्रभाव से मंत्री पद से हटा दिया है. उनके विधानसभा में दाखिल होने पर भी रोक लगा दी गई है. कोर्ट ने यह कड़ा फैसला इसलिए लिया क्योंकि राज्य विधानसभा के स्पीकर ने मंत्री के खिलाफ लंबित विधानसभा सदस्यता की अयोग्यता की प्रक्रिया पर फैसला नहीं लिया. कोर्ट ने 21 जनवरी को आदेश दिया था कि स्पीकर 4 हफ्ते में श्यामकुमार की अयोग्यता पर फैसला लें. तब कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर स्पीकर इस समय सीमा में फैसला नहीं लेते तो याचिकाकर्ता दोबारा कोर्ट आ सकते हैं.


दरअसल, श्यामकुमार 11वीं मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. लेकिन उन्होंने पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें राज्य सरकार में वन मंत्री का पद मिला.


कांग्रेस विधायकों फजुर्रहीम और के. मेघचन्द्र ने श्यामकुमार को अयोग्य ठहराए जाने के लिए स्पीकर का दरवाजा खटखटाया था. बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को सही मानते हुए विधानसभा स्पीकर टी खेमप्रकाश सिंह को 4 हफ्ते में मामले पर फैसला लेने को कहा था.


इस फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा कहा था कि संसद को इस बात पर विचार करना चाहिए कि स्पीकर जो खुद किसी पार्टी के सदस्य होते हैं, क्या उन्हें सांसदों/विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना चाहिए? अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल जैसी निष्पक्ष स्थायी व्यवस्था बनाना बेहतर रहेगा.


स्पीकर ने कोर्ट के आदेश के बावजूद वन मंत्री की अयोग्यता पर फैसला नहीं लिया था. जिसके मद्देनजर आज कोर्ट ने श्यामकुमार के विधानसभा में दाखिल होने पर रोक लगा दी. साथ ही, कह दिया कि तत्काल प्रभाव से उन्हें मंत्री नहीं माना जाएगा.


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