मणिपुर हिंसा: जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकारी को किया नियुक्त, राहत से जुड़े काम के लिए भी बनाई कमेटी
Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने राज्य में राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए 3 पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमिटी भी बनाई.
Supreme Court on Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी का ज़िम्मा महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पटसालगिकर को सौंपा है. पटसालगिकर सीबीआई के अलावा राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई 42 SIT के कामकाज पर भी नज़र रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच में मणिपुर से बाहर के पुलिस अधिकारियों को भी शामिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि हर SIT में दूसरे राज्य का एक अधिकारी होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए 3 पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमिटी भी बनाई है, जिसकी तीनों सदस्य महिला हैं. इस कमिटी की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल करेंगी. यह कमिटी जल्द ही राज्य का दौरा करेगी. कोर्ट ने राज्य सरकार से उन्हें ज़रूरी सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए कहा है.
पिछली सुनवाई में क्या था आदेश?
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से मई और जुलाई के बीच हुई हिंसा से जुड़ी सभी 6500 एफआईआर का वर्गीकरण करने को कहा था. राज्य सरकार को बताना था कि हत्या, बलात्कार, महिला उत्पीड़न, आगजनी, तोड़-फोड़ समेत अलग-अलग अपराधों पर कितने एफआईआर हैं. कोर्ट ने राज्य के डीजीपी राजीव सिंह को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए भी कहा था. डीजीपी सुनवाई में मौजूद रहे. लेकिन जजों ने उनसे कोई सवाल नहीं किया.
सरकार ने SC में क्या कहा?
सुनवाई की शुरुआत में ही अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी ने बताया कि हिंसा से ज़्यादा प्रभावित हर जिले में 6 विशेष जांच दल यानी SIT बनाई जाएगी. इस तरह राज्य सरकार अलग-अलग तरह के अपराध की जांच के लिए कुल 42 विशेष जांच दल (SIT) बनाना चाहती है. हर टीम का नेतृत्व एसपी या डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी करेंगे. महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध की जांच करने वाली SIT का नेतृत्व महिला अधिकारी ही करेगी. उन्होंने बताया कि हर SIT से DIG रैंक के अधिकारी रिपोर्ट लेंगे और हर 15 दिन पर DGP भी जांच की समीक्षा करेंगे.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया कि 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घूमाने के मामले समेत जो 11 केस CBI को पहले सौंपे गए थे, उनकी जांच CBI ही करेगी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों में विश्वास बहाल करना ज़रूरी है. इसलिए जांच में राज्य से बाहर के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा. सीबीआई टीम में डिप्टी एसपी या एसपी रैंक के 5 अधिकारी भी रखे जाएं. यह अधिकारी दूसरे राज्यों की पुलिस से हों, लेकिन स्थानीय लोगों से हिंदी में बात कर सकें.
जस्टिस पी एस नरसिम्हा और मनोज कुमार मिश्रा के साथ 3 जजों की बेंच में बैठे चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार की SIT में भी बाहर के अधिकारियों को शामिल करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार ने 42 SIT बनाने की बात कही है. हम चाहते हैं कि हर SIT में कम से कम एक इंस्पेक्टर सदस्य हो, जो दूसरे राज्य की पुलिस से हो. साथ ही, दूसरे राज्यों से DIG रैंक के 6 अधिकारी हों, जो 42 SIT के काम पर निगरानी रखें."