सुप्रीम कोर्ट ने आरजेडी नेता शरद यादव को दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करने के लिए 31 मई तक समय दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें 30 मार्च तक घर खाली करने कहा था. शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था. कोर्ट ने मानवीय आधार पर उन्हें 2 महीने की मोहलत दे दी है. हालांकि, कोर्ट ने उनसे यह लिखित हलफनामा देने को कहा है कि वह 31 मई तक सरकारी आवास खाली कर देंगे.
जेडीयू से सांसद चुने गए शरद यादव को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 2017 में ही राज्यसभा सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. तब से अब तक शरद यादव हाई कोर्ट के एक अंतरिम आदेश के सहारे केंद्रीय मंत्रियों को मिलने वाले बंगले 7, तुगलक रोड में जमे थे. हाई कोर्ट ने 15 मार्च को अपना अंतरिम आदेश वापस ले लिया. अपने नए आदेश में हाई कोर्ट ने शरद यादव को 15 दिन में मकान खाली करने को कहा.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शरद ने दलील दी कि राज्यसभा से बाहर किए जाने के खिलाफ उनकी याचिका अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है. उनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. तब तक उन्हें आवास से नहीं निकाला जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया. शरद की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी हर दूसरे दिन में डायलिसिस होती है. कोविड के चलते उन्हें 22 दिन वेंटिलेटर पर भी रहना पड़ा था.
याचिका का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने कहा, "शरद यादव किसी तरह सरकारी बंगले पर कब्ज़ा बनाए रखने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं. यह बंगला केंद्रीय मंत्री पशुपति नाथ पारस को आवंटित किया गया है. लेकिन शरद यादव इसे खाली ही नहीं कर रहे." जैन ने यह भी कहा कि शरद यादव लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं. उन्हें हाई कोर्ट से मिली 15 दिन की मियाद पूरी हो चुकी है. इसे किसी भी कारण 1 महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए.
शरद के वकील सिब्बल ने कहा कि उन्हें 2 महीने का समय दिया जाए. 31 मई तक वह खुद मकान खाली कर देंगे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि वह मानवीय आधार पर इसे स्वीकार कर रही है. लेकिन शरद 1 हफ्ते के अंदर यह लिखित में दें कि वह 31 मई तक मकान खाली कर देंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर 1 हफ्ते में हलफनामा जमा नहीं होता, तो यह रियायत खत्म मानी जाएगी.