नई दिल्ली: सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों के तेजी से निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निचली अदालत में लंबित ऐसे मुकदमों की खुद निगरानी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी मुकदमे पर हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी हो, तो उसे जल्द से जल्द हटाया जाए.
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों के तेजी से निपटारे की मांग पर सुप्रीम कोर्ट लंबे अरसे से सुनवाई कर रहा है. कोर्ट इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए हर राज्य में स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश भी दे चुका है. अब जस्टिस एन वी रमना, सूर्य कांत और हृषिकेश रॉय की बेंच ने यह माना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों के निपटारे में तेजी नहीं आ पा रही है. अभी भी ऐसे लगभग 4600 मुकदमे लंबित हैं, इनमें से कुछ तो कई दशक पुराने हैं.
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर चल रही इस सुनवाई में एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कई सुझाव दिए हैं. इसमें सभी जिलों में स्पेशल कोर्ट के गठन, संगीन अपराध वाले मुकदमों को प्राथमिकता से निपटाने जैसे सुझाव शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इन सुझावों को सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सभी चीफ जस्टिस इन सुझावों को देखने के बाद अपने विचार दें. अपने राज्य में जनप्रतिनिधियों के मुकदमों के तेजी से निपटारे पर एक्शन प्लान बताएं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह आगे इस मामले पर विस्तृत आदेश जारी करेगा. फिलहाल कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि सभी हाई कोर्ट निचली अदालत में चल रहे जनप्रतिनिधियों के मुकदमों पर लगी रोक को जल्द से जल्द हटाएं. इस मसले पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस विशेष बेंच का गठन करें. इस तरह के हर मामले में यह देखा जाए कि क्या रोक वाकई जरूरी है? अगर ऐसा नहीं है तो रोक को तुरंत हटा दिया जाए. अगर किसी मामले में रोक के पीछे वजह सही लगती है, तब भी जिस अर्ज़ी के आधार पर पहले रोक लगाई गई थी, उसे लगातार सुनकर 2 महीने के भीतर निपटाया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अपनी अध्यक्षता में विशेष बेंच का गठन करें. यह बेंच जनप्रतिनिधियों के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मुकदमों की निगरानी करे. यह सुनिश्चित करें कि उनका एक तय समय सीमा में निपटारा हो सके. मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.
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