पीठ ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य के वकील ने किशोर न्याय बोर्ड की दी गई रिपोर्ट का विरोध नहीं किया है. हमने उस रिपोर्ट और उसमें दिए गए कारणों की भी जांच की है और हमें अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई आधार और कारण नहीं मिला है. तदनुसार, अपीलकर्ता को अपराध की घटना/घटना की तारीख को किशोर के रूप में माने जाने का निर्देश दिया जाता है.’’



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