नई दिल्ली: जेलों में संक्रमण फैलने की आशंका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. आज कोर्ट ने कोरोना की रोकथाम के लिए सरकार की कोशिशों की भी तारीफ की. खुद सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि फिलहाल सिर्फ बेहद जरूरी मामलों की सुनवाई होगी वह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए.
सिर्फ वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई
पहले से ही काफी सीमित काम कर रहे सुप्रीम कोर्ट में आज की कार्रवाई कोरोना के इर्द-गिर्द ही सीमित रही. आज कोर्ट ने कुछ और कड़े कदम उठाए जाने का ऐलान किया. कोर्ट ने तय किया है कि कल शाम पांच बजे से परिसर में मौजूद वकीलों के चेंबर सील कर दिए जाएंगे. वकीलों से फिलहाल घर से ही काम करने को कहा गया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अभी सिर्फ बहुत जरूरी मामलों की सुनवाई होगी, वह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए। वकीलों को अपने घर या दफ्तर से मामले की पैरवी करने की सुविधा दी जाएगी. कोर्ट परिसर में भी एक अलग कमरे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जजों के सामने अपनी बात रखने के लिए व्यवस्था की गई है.
रिहा होंगे कैदी
आज कोर्ट ने जिन बेहद कम मामलों की सुनवाई की उनमें से एक कोरोना के खतरे के चलते जेलों से भीड़ कम करने का था. इस मामले में कोर्ट ने पिछले हफ्ते खुद संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था. आज एक बेहद अहम आदेश दिया. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्यों से बड़ी संख्या में कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्य अपने यहां एक उच्च स्तरीय कमिटी बना कर फैसला लें कि किन सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को फिलहाल कुछ समय के लिए रिहा किया जा सकता है. कोर्ट का सुझाव था कि सात साल से कम की सजा पाए या छोटे अपराधों में मुकदमे का सामना कर रहे कैदियों को छह हफ्ते के लिए परोल दे देना बेहतर रहेगा.
'अच्छा काम कर रही है सरकार'
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की रोकथाम को लेकर सरकार के प्रयासों की सराहना की. सरकार को कोरोना रोधी सुविधाओं को बढ़ाने का निर्देश देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस ने कहा, “सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. इस वक्त उसके आलोचक तक यही कह रहे हैं. उन्हें अपना काम करने दीजिए.“ कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी याचिका केंद्र और राज्य सरकारों के वकीलों को दे दें. सरकार इन बिंदुओं पर भी गौर कर जरूरी कदम उठा लेगी.
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