नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा और भड़काऊ भाषण से जुड़े हुए अलग-अलग मामलों को लेकर हाईकोर्ट 12 मार्च को करेगा. आज की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपना जवाब देने के लिए 12 मार्च तक का वक्त दिया है. पहले इस मामले की सुनवाई 13 अप्रैल को होनी थी. हाईकोर्ट में जिन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है उनमें भड़काऊ भाषण और बयान देने के आरोपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.
दो वकीलों में हुई तीखी बहस
भड़काऊ भाषण और बयानों के मामले पर जब दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चली तो इस दौरान दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के वकील के बीच कोर्ट में तीखी बहस शुरू हो गई. दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त वकील का कहना था कि दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश होने का अधिकार उनके पास है, लेकिन एलजी द्वारा नियुक्त वकील का कहना था कि उपराज्यपाल ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश होने का अधिकार उनको दिया हुआ है, लिहाजा दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त वकील इस मामले में पेश नहीं हो सकते.
दोनों वकीलों की यह नोकझोंक इस वजह से भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त वकील बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की बात से सहमती जता रहे हैं और जल्द से जल्द आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की वकालत कर रहे हैं. वहीं उपराज्यपाल के द्वारा नियुक्त वकील की दलील है कि इस मामले में अलग-अलग शिकायतें और वीडियो सामने आए हैं. सभी को देखने के बाद कोई फैसला लिया जा सकता है और फिलहाल दिल्ली पुलिस की कोशिश हालात को सामान्य करने की है.
इन नेताओं पर है भड़काऊ भाषण और बयान देने का आरोप
इन याचिकाओं में जहां एक याचिका में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है, तो एक और याचिका में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, असदुद्दीन ओवैसी, अकबरुद्दीन ओवैसी, वारिस पठान और मनीष सिसोदिया समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है. इन सभी नेताओं पर आरोप यह है कि उन्होंने भड़काऊ भाषणों के जरिए जनता को भड़काया था, जिसकी वजह से दिल्ली में हिंसा हुई थी. इसके अलावा भी इसी तरह से दो और याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिनमें से एक में भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने और दूसरी में हिंसा में घायल लोगों को इलाज मुहैया कराने जैसी मांगों का जिक्र किया गया है.
SC ने हाईकोर्ट से याचिका पर जल्द सुनवाई को कहा
वैसे तो दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए 13 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई की बात कही थी, जिसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करें.
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