सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (24 सितंबर, 2024) को कहा कि हाईकोर्ट को किसी मामले की जांच का जिम्मा सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) को सौंपने का अधिकार है. कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि हाईकोर्ट को तर्क के साथ आधार भी देना होगा कि उसे ऐसा क्यों लगता है कि संबंधित राज्य पुलिस की मामले की जांच निष्पक्ष नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कोलकाता हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए की, जिसमें सीबीआई को गोरखा प्रादेशिक प्रशासन (GTA) में स्वैच्छिक शिक्षकों की भर्ती और नियमितीकरण से संबंधित एक मामले को लेकर कुछ पत्रों में लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया गया था.


जस्टिस भूषण रामाकृष्णन गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश की ओर से पारित आदेश के अवलोकन से पता चलता है कि इस बारे में एक भी शब्द नहीं कहा गया कि हाईकोर्ट को राज्य सरकार द्वारा कराई गई जांच अनुचित क्यों लगी. बेंच ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाईकोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जांच सीबीआई को सौंपने के लिए सशक्त है.'


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हालांकि, ऐसा करने के लिए उसे इस बात पर विचार करना होगा कि उसे ऐसा क्यों लगता है कि राज्य पुलिस द्वारा की गई जांच निष्पक्ष नहीं है या पक्षपातपूर्ण है.' बेंच ने कहा कि केवल कुछ पत्रों के आधार पर इस तरह की कवायद उचित नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें जलपाईगुड़ी में हाईकोर्ट की सर्किट बेंच की एक खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी. खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की ओर से पारित आदेश के अमल पर रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था. एकल न्यायाधीश ने सीबीआई को पत्रों में लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच या विश्लेषण करने और कथित आरोपों के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि इस मुद्दे पर कानून पूरी तरह से स्थापित है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को सीबीआई को किसी मामले की जांच करने का निर्देश देने का अधिकार है, लेकिन उन्हें इसके लिए तर्क देना होगा. खंडपीठ ने कहा, 'याचिका स्वीकार की जाती है. आक्षेपित आदेश निरस्त किए जाते हैं.' बेंच ने हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश को लंबित याचिका पर कानून के अनुसार निर्णय लेने को कहा.


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