नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्नन की मानसिक जांच होगी. सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने ये आदेश दिया है. आदेश देते वक्त कोर्ट ने कहा, "उनके बर्ताव को देख कर लगता है कि वो शायद पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं."


क्यों देना पड़ा ऐसा आदेश ?


जस्टिस कर्नन के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को उनसे न्यायिक काम वापस ले लिए थे. उसके बाद भी वो घर से बैठ कर जजों के खिलाफ आदेश पारित कर रहे थे. उनके कुछ आदेश ये हैं :-


* उन्होंने अपने खिलाफ सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के 7 वरिष्ठतम जजों को अपने घर पर पेश होने को कहा.
* उन्होंने कहा कि सभी जज उनके घर पर पेश होकर बताएं कि दलित जज के उत्पीड़न के लिए उन्हें क्या सज़ा दी जाए.
* उन्होंने जजों को 14 करोड़ रुपए के हर्जाना चुकाने को कहा
* सातों जजों के विदेश जाने पर भी रोक लगा दी


आज जब उनके इन अटपटे आदेशों की चर्चा कोर्ट में हुई तो बेंच ने हैरानी जताते हुए कहा, "न्यायिक काम वापस ले लेने के बाद भी वो कैसे इस तरह के आदेश जारी कर रहे हैं? लगता है वो सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं."


क्यों शुरू हुई थी अवमानना की कार्रवाई ?


ये कार्रवाई जस्टिस कर्नन की पीएम को भेजी चिट्ठी के आधार पर शुरू की गयी है. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 20 जजों को नाम लेकर भ्रष्ट बताया था. पिछली सुनवाई में 7 जजों की बेंच ने उनसे पूछा था, "आप जजों पर लगाए आरोप पर कायम रहना चाहते हैं या उन्हें वापस लेते हुए माफ़ी मांगना चाहते हैं?"


इसका जवाब देने की बजाय जस्टिस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत 7 जजों के खिलाफ धड़ाधड़ आदेश देना शुरू कर दिया.


पहले भी विवादों में घिरे रहे हैं जस्टिस कर्नन


जस्टिस कर्नन मद्रास हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान से ही विवादित रहे हैं. उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था. कई साथी जजों पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाया था.


सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जब उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया तो उन्होंने अपनी तरफ से इस आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कर्नन कलकत्ता हाई कोर्ट गए, लेकिन चेन्नई में सरकारी मकान खाली नहीं किया. मद्रास हाई कोर्ट की कई फाइलें भी अपने साथ ले गए.


आज कोर्ट में क्या हुआ ?


एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को जस्टिस कर्नन के हालिया आदेशों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि खुद पर अवमानना का आरोप होने के बाद भी वो लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. कोर्ट ने उन्हें बहुत मौका दिया. अब उसे आदेश जारी कर देना चाहिए. लोगों तक ये संदेश जाना जरूरी है कि न्यायपालिका की अवमानना करने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाता.


कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने सलाह दी कि जस्टिस कर्नन की हरकतों को गंभीरता से न लिया जाए. साफ़ लगता है कि वो पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं. जून में वो रिटायर होने वाले हैं. उन्हें सज़ा न देना ही बेहतर होगा.


7 जजों की बेंच का आदेश


बेंच के सभी जजों से चर्चा करने के बाद चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा, "वो अपना पक्ष रखने में समर्थ नहीं लगते. उनके स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए."


कोर्ट ने कोलकाता गवर्नमेंट हॉस्पिटल को मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया. बोर्ड 4 मई को जांच कर 8 मई तक रिपोर्ट देगा. अगली सुनवाई 9 मई को होगी.


कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को मेडिकल बोर्ड की मदद के लिए एक पुलिस टीम के गठन का भी आदेश दिया. साथ ही, कोर्ट ने जस्टिस कर्नन की तरफ से हाल में दिए गए आदेशों को भी निरस्त कर दिया.


आज भी नहीं माने जस्टिस कर्नन


कोलकाता में अपने घर से जस्टिस कर्नन ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ आदेश जारी कर दिया. उन्होंने दिल्ली पुलिस को सातों जजों की एम्स में मानासिक जांच कराने को कहा. साथ ही, पश्चिम बंगाल के डीजीपी को कहा कि अगर वो उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टरों के साथ आए तो वो उन्हें पद से निलंबित कर देंगे.