नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी एस कर्णन की मेडिकल जांच करने का आज आदेश दिया. आदेश के अनुसार कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल द्वारा गठित डॉक्टरों का बोर्ड चार मई को जांच करेगा.


पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को इस बाबत निर्देश दिया


प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को इस बाबत निर्देश दिया. इसमें कहा है कि वह पुलिस का एक दल गठित करें जो न्यायमूर्ति कर्णन की मेडिकल जांच में मेडिकल बोर्ड की मदद कर सकें.


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कर्णन को प्रशासनिक और न्यायिक कार्य करने से रोक दिया था


पीठ ने अपने पहले के आदेश का जिक्र करते हुए देशभर की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों और आयोगों को निर्देश दिया कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिये गए आदेशों पर विचार ना करें. अपने पहले के आदेश में पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को प्रशासनिक और न्यायिक कार्य करने से रोक दिया था.


मान लेगा कि ‘उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है’


पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को अवमानना नोटिस पर उनसे जवाब देने का निर्देश देने के साथ ही यह भी कहा कि अगर आठ मई तक कोई जवाब नहीं आता है तो वह मान लेगा कि ‘उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.’ न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की सदस्यता वाली इस सांविधान पीठ ने मेडिकल बोर्ड को आठ मई या उससे पहले मेडिकल रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.


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याचिका पर सुनवायी के लिए एक दिन बाद की तारीख तय की


न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवायी के लिए एक दिन बाद की तारीख तय की. इससे पहले न्यायमूर्ति कर्णन 31 मार्च को शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए थे. उन्होंने न्यायिक और प्रशासनिक शक्तियां बहाल करने की मांग की थी. लेकिन, न्यायालय ने अपने पहले के आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया था.


न्यायमूर्ति कर्णन के कई पत्रों पर स्वत: संज्ञान लिया है


जिसके बाद न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा था कि वह दोबारा न्यायालय के समक्ष पेश नहीं होंगे. उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के न्यायधीशों के खिलाफ लिखे गए न्यायमूर्ति कर्णन के कई पत्रों पर स्वत: संज्ञान लिया है.